Prashant Kishor: इन दिनों बिहार के घर-घर में एक शख्स चर्चा का विषय बना हुआ है। वह अक्सर सफेद कुर्ता-पायजामा पहने, कंधे पर पीला गमछा डाले और पसीने से लथपथ होकर बिहार के विकास के लिए तार्किक बयान देते नजर आते हैं। गांव-शहर का चौराहा हो या राजधानी का जगमगाता कैफे, लोग शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य के मुद्दों पर उनकी ओर उम्मीद की किरण से देख रहे हैं। यह पढ़ते हुए आप सोच रहे होंगे कि हम किसकी बात कर रहे हैं। तो आपने सही पढ़ा, आज हम जिस शख्स के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, वह राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उनका जमीनी जुड़ाव और सोच वर्षों से बिहार की राजनीति में अपनी पैठ बनाने वाली पार्टियों को चुनौती दे रही है।
आज इस खबर में हम बात करेंगे प्रशांत किशोर की, जो जातिगत राजनीति से परे जन सुराजी की राजनीति को बिहारवासियों के दिलो-दिमाग में बिठाने में कामयाब होते दिख रहे हैं। बिहार के विकास के लिए Prashant Kishor की सोच दूसरे नेताओं से बेहतर और अलग नजर आ रही है। जिसके चलते उनकी राजनीतिक पार्टी ”जन सुराज”, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सत्ता का केंद्र बनने की ओर तेजी से बढ़ रही है। बिहार विधानसभा चुनाव में जन सुराज को कितनी सफलता मिलेगी, इसका अनुमान तो नहीं लगाया जा सकता, लेकिन यह कहना अनुचित नहीं होगा कि प्रशांत किशोर के तेवर ने लालू-नीतीश खेमे में हलचल मचा दी है।
Jan Suraaj के साथ लोगों का क्यों बढ़ रहा जुड़ाव?
मालूम हो कि प्रशांत किशोर अपने कौशल के लिए देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जाने जाते हैं। कभी देश में मोदी, नीतीश और लालू आदि के रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर अब Jan Suraaj के जरिए बिहार में तीसरे विकल्प के रूप में तेजी से उभर रहे हैं। 2 अक्टूबर 2024 को जन सुराज अभियान, जन सुराज पार्टी बन गया, जो इस विधानसभा चुनाव में बिहार की उम्मीद बनती दिख रही है। हालांकि वक्त बदल रहा है, लेकिन प्रशांत किशोर अपने पुराने अंदाज में बिहार की सत्ताधारी पार्टी हो या विपक्ष, जो सालों से राज्य की सत्ता के केंद्र में है, उसे सवालों से घेर रहे हैं और कामकाज का लेखा-जोखा पेश करने पर मजबूर कर रहे हैं। जो एक सच्चे लोकतंत्र के लिए उम्मीद की किरण है।
बता दें कि तीन साल पहले वाले Prashant Kishor आज भी वैसे ही हैं। आज भी वह शिक्षा, रोजगार और पलायन की मु्द्दों पर प्रखर होकर बोल रहे हैं। उनके शब्दों की धार जरूर तेज हुई है, बिहार की मौजूदा स्थिति को लेकर जो लोगों को चुभ रही है कि गलती नेता की नहीं, बल्कि उनकी अपनी है। कुछ हद तक वह लोगों को समझाने में वे कामयाब भी दिख रहे हैं। अगर वह वादा भी कर रहे हैं, तो शिक्षा, रोजगार और गरीबी से मुक्ति का। जिसके कारण प्रशांत किशोर की सभाओं में ”जय बिहार” का नारा गूंजता सुनाई देता है।
लालू-नीतीश की पार्टी के लिए Prashant Kishor की चुनौती!
प्रशांत किशोर के पास भविष्य में बिहार के विकास के लिए अपनी ”जन सुराज पार्टी ” द्वारा किए जाने वाले कार्यों का एक खाका है। वह बिहार में शराबबंदी को एक गलत फैसला बताते हैं और Nitish Kumar की कई महत्वाकांक्षी योजनाओं में व्याप्त अनियमितताओं पर तीखे सवाल उठाते हैं। वह नीतीश कुमार और लालू परिवार को बिहार को बर्बाद करने वाला बताते हैं। इसके समर्थन में वह कई ठोस उदाहरण भी देते हैं। जून के महीने में सारण में एक जनसभा में Prashant Kishor लालू यादव के उस सोशल मीडिया पोस्ट पर निशाना साधते नज़र आते हैं, जिसमें लालू ने बिहार की मौजूदा नीतीश सरकार की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए थे।
प्रशांत किशोर कहते हैं, “अगर Lalu Yadav कानून-व्यवस्था की बात करते हैं, तो यह एक बूढ़े शेर के कहने जैसा है कि मैं शाकाहारी हो जाऊँगा।” मालूम हो कि PK का यह तंज 1990 के दशक के लालू के उस शासन पर सीधा हमला था, जिसे ‘जंगल राज’ कहा जाता है। उस दौर में बिहार में अपहरण, हत्या और जबरन वसूली की घटनाएँ अपने चरम पर थीं, जिसके लिए Bihar Politics में राजद की वर्षों तक आलोचना होती रही है। इतना ही नहीं, इस समय बिहार में बढ़ती आपराधिक घटनाओं के लिए वह नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहे हैं। पटना में एक व्यवसायी की हत्या आदि जैसी हालिया आपराधिक घटनाओं का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार का शासन लालू के जंगलराज से भी बदतर हो गया है।
Bihar में कैसे सफल होंगे प्रशांत?
आपको बता दें कि प्रशांत किशोर ने बिहार में ”जन सुराज” का एक संगठनात्मक ढाँचा खड़ा किया है। उन्होंने Jan Suraaj की एक अच्छी-खासी फौज भी खड़ी कर ली है। वह Bihar को जातिवाद से मुक्त कर राज्य में जन सुराजी राजनीति स्थापित करने की कोशिश करते नज़र आ रहे हैं। वह राजनीति में भाई-भतीजावाद के सख़्त ख़िलाफ़ हैं। मसलन, कोई भी राजनीतिक दल अपनी सफलता के लिए जो भी व्यवस्था करता है, प्रशांत किशोर वही करते नज़र आ रहे हैं।