Monday, December 23, 2024
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कर लिया ये व्रत तो होगी हर मनोकामना पूरी, मिलेगी दोषों से मुक्ति, जानें Sawan Pradosh Vrat 2023 मुहूर्त और पूजा विधि

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Sawan Pradosh Vrat 2023: श्रावण मास की शुरूआत 4 जुलाई से हो चुकी है। इस साल सावन करीब दो महीने के लिए है। सावन के महीने में देवों के देव महादेव की विधिवत पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म के अनुसार कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन सावन का पहला प्रदोष व्रत है। सावन 2 महीने रहने से इस बार 4 प्रदोष व्रत होंगे।इस बार सावन में कुल 4 प्रदोष व्रत हैं। अधिकमास होने की वजह से सावन में 4 त्रयोदशी तिथि पड़ेगी। श्रावण मास और प्रदोष व्रत दोनों में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखने से भक्तों की सभी मनाकामनाएं पूरी होती हैं। जानतें हैं प्रदोष व्रत तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि।

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प्रदोष व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त

सावन का पहला प्रदोष व्रत 14 जुलाई को है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त लगभग 2 घंटे तक है। इस दिन भगवान शिव की पूजा का समय शाम 7:21 बजे से लेकर रात्रि 9:24 बजे तक है। इन दो घंटों के समय में आप कभी भी भोलेनाथ की पूजा कर सकते हैं।
हिन्दू पंजांग के अनुसार श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को सावन का पहला प्रदोष व्रत है। जोकि 14 जुलाई को शाम 7:17 बजे से आरंभ होगा और 15 जुलाई को रात्रि 8:32 बजे तक रहेगा। प्रदोष व्रत 14 जुलाई को रखा जाएगा।

श्रावण मास में 4 प्रदोष व्रत

इस वर्ष सावन का पहला प्रदोष व्रत 14 जुलाई को पड़ा है। दो महीने रहने वाले सावन में कुल 4 प्रदोष व्रत पड़े हैं।
प्रथम प्रदोष व्रत- 14 जुलाई
द्वीतीय प्रदोष व्रत-30 जुलाई
तृतीय प्रदोष व्रत- 13 अगस्त
चतुर्थ प्रदोष व्रत- 28 अगस्त

पूजा विधि

  • मान्यताओं के अनुसार सावन प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्द उठें, स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
  • इसके बाद पूजा के लिए दीप जलाएं और व्रत के लिए संकल्प करें।
  • व्रत के दौरान भगवान शिव की उपासना करें और पूजा करें।
  • शाम को प्रदोष काल में पूजा के समय में पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें।
  • अभिषेक के बाद भांग, धतूरा, बेलपत्र फूल शिवलिंग पर चढ़ाएं।
  • अब दीप जलाएं और प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें और शिव जी की आरती करके पूजा का समापन करें।

व्रत का महत्व

मान्यता है कि भगवान शिव की पूजा कभी भी कर सकते हैं, लेकिन सावन में शिव की पूजा करने से अधिक लाभ होता है इस दौरान प्रदोष व्रत होने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। हर प्रकार के दोषों से मुक्ति मिलती है और सुख, शांति और समृद्धि आती है।

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