Parshuram Jayanti 2023: हिंदू धर्म में परशुराम जयंती का खास महत्व है। यह जयंती हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह तिथि 22 अप्रैल को है। ऐसे में भगवान विष्णु के छठें अवतार परशुराम के पूजा का भी एक विधान है। बताया जाता है कि भगवान परशुराम ने ब्राह्मणों पर हो रहे अत्याचार को खत्म करने के लिए राक्षसों का अंत किया था। इस दिन लोग परशुराम के साथ – साथ भगवान विष्णु की भी पूजा करते हैं। हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया के दिन भी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। कुछ जगहों पर इस दिन शोभा यात्रा भी निकाली जाती है। ऐसे में आइए इसके शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व के बारे में जानते हैं।
ये है परशुराम की जयंती का शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म में माना जाता है कि परशुराम की पूजा करने से हमारे तमाम कष्ट दूर ही जाते हैं। ऐसे में इनकी पूजा भी पूरी तरह से विधि – विधान और शुभ मुहूर्त में ही करना लाभदायक होता है। हिंदू धर्म के पंचांग में ये जानकारी दिया गया है कि इस साल 22 अप्रैल को भगवान परशुराम की जयंती मनाई जाएगी। वहीं इसके शुभ – मुहूर्त की अगर हम बात करें तो यह सुबह 07:49 बजे से शुरू होगा जो दूसरे दिन प्रात:काल 07:47 बजे तक रहेगा। ऐसे में लोग इस समय पूजा करके अपनी मनोकामना को मांग सकते हैं। वहीं अभिजीत मुहूर्त के बारे में बताया जा रहा है कि यह सुबह के 11:54 से लेकर दोपहर के 12:46 तक रहेगा।
Also Read: Aaj ka Panchang 20 April 2023: सूर्यग्रहण आज, जानें सूर्योदय और सूर्यास्त का समय…जानें चंद्रबल और ताराबल
आखिर क्या है इस जयंती का महत्व
अगर हम परशुराम जयंती के महत्व की बात करें तो परशुराम भगवान विष्णु के छठवें अवतार माने जाते हैं। इन्होंने धरती पर बढ़ रहे पाप और अधर्म को खत्म करने के लिए जन्म लिया था। भगवान परशुराम ने ऐसे राजाओं का अंत किया था जो अपने कर्तव्य का पालन नहीं करते थे और गलत रास्ते पर चलते थे। वहीं कुछ लोगों का यह भी मानना है कि भगवान परशुराम आज के समय में भी पृथ्वी पर मौजूद है। जो भी लोग इनकी जयंती पर सच्चे मन से भगवान परशुराम की पूजा करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
इस तरह से करनी चाहिए पूजा
भगवान परशुराम के पूजा की बात करें तो सबसे पहले स्नान करना चाहिए साथ ही गंदे कपड़े का त्याग कर साफ – सुथरे कपड़े पहनना चाहिए। इसके साथ ही जहां भी भगवान परशुराम की मूर्ति हो उसे गंगाजल से साफ करना चाहिए। भगवान को भक्त फूल और चावल चढ़ा सकते हैं। इसके साथ ही भगवान को लोग धूप और आरती दिखा सकते हैं।
ये भी पढ़ें: Surya Grahan 2023: राहु-केतु और समुद्र मंथन से कैसे जुड़ा है सूर्यग्रहण का कनेक्शन? जानें दिलचस्प कहानी
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। DNP News Network/Website/Writer इसकी पुष्टि नहीं करता है। इसे केवल सामान्य अभिरूचि में ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है। किसी भी प्रकार का उपाय करने से पहले ज्योतिष से परामर्श जरूर लें।