लक्ष्मी पूजन करने की विधि –

लक्ष्मी पूजन करने की विधि –

लक्ष्मी पूजन करने की विधि – सबसे पहले चौकी को अच्छी तरह धो या साफ करके इस पर लाल कपड़ा बिछाएं। कपड़े पर लक्ष्मी जी और गणेजी की मूर्तियाँ रखें। लक्ष्मी जी को ध्यान से गणेश जी के दाहिनी तरह ही बिठाएं और दोनों मूर्तियों का चेहरा पूर्व या पश्चिम दिशा की तरफ ही करें। अब मूर्तियों के आगे रूपये,पैसे, गहने और पांच चांदी के सिक्के रख दें। इन पाँच चांदी के सिक्कों को कुबेर जी का रूप माना जाता है। अब कपड़े के ऊपर एक मुट्ठी चावल का ढेर लगाएं और उस पर पानी का कलश रख दें।

लक्ष्मी पूजन करने की विधि – सबसे पहले चौकी को अच्छी तरह धो या साफ करके इस पर लाल कपड़ा बिछाएं। कपड़े पर लक्ष्मी जी और गणेजी की मूर्तियाँ रखें। लक्ष्मी जी को ध्यान से गणेश जी के दाहिनी तरह ही बिठाएं और दोनों मूर्तियों का चेहरा पूर्व या पश्चिम दिशा की तरफ ही करें। अब मूर्तियों के आगे रूपये,पैसे, गहने और पांच चांदी के सिक्के रख दें। इन पाँच चांदी के सिक्कों को कुबेर जी का रूप माना जाता है। अब कपड़े के ऊपर एक मुट्ठी चावल का ढेर लगाएं और उस पर पानी का कलश रख दें।

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कलश के अंदर चंदन, दुब, पंचतंत्र, सुपारी और केले या आम के पत्ते डालकर मोली से बंधा हुआ नारियल कलश पर रख दें। कोई भी बर्तन में साफ पानी भरकर उसमें गंगा जल मिलाकर करें और उसके मोली बना दें। इस जलपात्र को भी लाल कपड़े पर रख दें। यह सभी काम आपको शुभ महूर्त शुरू होने से पहले करने है। जब मुहूर्त शुरू हो जाए तो अपने समस्त परिवार को पूजा स्थान पर बुला लें।

कलश के अंदर चंदन, दुब, पंचतंत्र, सुपारी और केले या आम के पत्ते डालकर मोली से बंधा हुआ नारियल कलश पर रख दें। कोई भी बर्तन में साफ पानी भरकर उसमें गंगा जल मिलाकर करें और उसके मोली बना दें। इस जलपात्र को भी लाल कपड़े पर रख दें। यह सभी काम आपको शुभ महूर्त शुरू होने से पहले करने है। जब मुहूर्त शुरू हो जाए तो अपने समस्त परिवार को पूजा स्थान पर बुला लें।

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अब सबसे पहले जलपात्र के अंदर एक फूल डालें और चौकी पर जल के छींटे दें। बाद में घर के सभी सदस्यों को भी जल के छींटे दें। अब जलपात्र से एक चम्मच पानी हथेली में लें और इस मंत्र को बोलकर उस पानी को पी लें- लक्ष्मी पूजन का मन्त्र – ओम केशवाय् नमः दोबारा एक चम्मच पानी हथेली में लें और इस मंत्र को बोलकर इसे पी लें- ओम नारायणाय नम: तीसरी बार हाथ में पानी लें और इस मंत्र को बोलकर इसे पी लें- ओम माधवाय नम: अब हाथ को स्वच्छ पानी से धो लें।

अब सबसे पहले जलपात्र के अंदर एक फूल डालें और चौकी पर जल के छींटे दें। बाद में घर के सभी सदस्यों को भी जल के छींटे दें। अब जलपात्र से एक चम्मच पानी हथेली में लें और इस मंत्र को बोलकर उस पानी को पी लें- लक्ष्मी पूजन का मन्त्र – ओम केशवाय् नमः दोबारा एक चम्मच पानी हथेली में लें और इस मंत्र को बोलकर इसे पी लें- ओम नारायणाय नम: तीसरी बार हाथ में पानी लें और इस मंत्र को बोलकर इसे पी लें- ओम माधवाय नम: अब हाथ को स्वच्छ पानी से धो लें।

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दो बड़े दीपकों के अंदर घी डालें और मूर्तियों के पास रखकर जला दें। तेल के एक दिया कलश के आगे रखें और जला दें। बाकि दस दीपकों को आप अपनी इच्छानुसार कहीं भी रख सकते है। अब गणेजी और लक्ष्मी जी के आगे दो फूल रख दें। एक फूल कलश के आगे रख दें और एक फूल चांदी के सिक्कों पर रख दें। बड़े घी वाले दीपकों के पास भी एक फूल रख दें। फिर छोटी सी मोली तोड़कर लक्ष्मी के गले में पहना दें। गणेश जी की मूर्ति को जनेऊ चढ़ा दें।

दो बड़े दीपकों के अंदर घी डालें और मूर्तियों के पास रखकर जला दें। तेल के एक दिया कलश के आगे रखें और जला दें। बाकि दस दीपकों को आप अपनी इच्छानुसार कहीं भी रख सकते है। अब गणेजी और लक्ष्मी जी के आगे दो फूल रख दें। एक फूल कलश के आगे रख दें और एक फूल चांदी के सिक्कों पर रख दें। बड़े घी वाले दीपकों के पास भी एक फूल रख दें। फिर छोटी सी मोली तोड़कर लक्ष्मी के गले में पहना दें। गणेश जी की मूर्ति को जनेऊ चढ़ा दें।

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अब दोनों मूर्तियों, कलश, रूपयों, चांदी के सिक्कों और दीपकों को कुमकुम से तिलक करें। फिर अपने परिवार के सभी सदस्यों को भी कुमकुम का तिलक कर दें। अब लक्ष्मी जी के पैरों में अक्षत,कमलगट्टे, जावित्री और नारियल अर्पित करें। एक पान के पत्ते में इलायची, लौंग और सुपारी रखकर गणेश जी को अर्पित करें। फिर खीर, पतासे, मिठाई का भोग लगा दें। अब थाली के अंदर पंचमुखी दीपक जलाकर और फूल रखकर पहले गणेश जी की और बाद में लक्ष्मी माँ की आरती गाएँ।

अब दोनों मूर्तियों, कलश, रूपयों, चांदी के सिक्कों और दीपकों को कुमकुम से तिलक करें। फिर अपने परिवार के सभी सदस्यों को भी कुमकुम का तिलक कर दें। अब लक्ष्मी जी के पैरों में अक्षत,कमलगट्टे, जावित्री और नारियल अर्पित करें। एक पान के पत्ते में इलायची, लौंग और सुपारी रखकर गणेश जी को अर्पित करें। फिर खीर, पतासे, मिठाई का भोग लगा दें। अब थाली के अंदर पंचमुखी दीपक जलाकर और फूल रखकर पहले गणेश जी की और बाद में लक्ष्मी माँ की आरती गाएँ।

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अब दोनों मूर्तियों, कलश, रूपयों, चांदी के सिक्कों और दीपकों को कुमकुम से तिलक करें। फिर अपने परिवार के सभी सदस्यों को भी कुमकुम का तिलक कर दें। अब लक्ष्मी जी के पैरों में अक्षत,कमलगट्टे, जावित्री और नारियल अर्पित करें। एक पान के पत्ते में इलायची, लौंग और सुपारी रखकर गणेश जी को अर्पित करें। फिर खीर, पतासे, मिठाई का भोग लगा दें। अब थाली के अंदर पंचमुखी दीपक जलाकर और फूल रखकर पहले गणेश जी की और बाद में लक्ष्मी माँ की आरती गाएँ।

अब दोनों मूर्तियों, कलश, रूपयों, चांदी के सिक्कों और दीपकों को कुमकुम से तिलक करें। फिर अपने परिवार के सभी सदस्यों को भी कुमकुम का तिलक कर दें। अब लक्ष्मी जी के पैरों में अक्षत,कमलगट्टे, जावित्री और नारियल अर्पित करें। एक पान के पत्ते में इलायची, लौंग और सुपारी रखकर गणेश जी को अर्पित करें। फिर खीर, पतासे, मिठाई का भोग लगा दें। अब थाली के अंदर पंचमुखी दीपक जलाकर और फूल रखकर पहले गणेश जी की और बाद में लक्ष्मी माँ की आरती गाएँ।

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गणेश जी की आरती जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा। जय….. एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। मस्तक पर सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी।। जय………. अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।। जय………. हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा।। जय……… दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी है। कामना को पूरी करो, जाऊँ बलिहारी है।। जय……..

गणेश जी की आरती जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा। जय….. एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। मस्तक पर सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी।। जय………. अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।। जय………. हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा।। जय……… दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी है। कामना को पूरी करो, जाऊँ बलिहारी है।। जय……..

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लक्ष्मीजी की आरती ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निसिदिन सेवत, हर विष्णु धाता।। जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता । तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ।। उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता । सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।। जय लक्ष्मी माता....... दुर्गा रूप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता । जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।। जय लक्ष्मी माता..

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तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता । कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता।। जय लक्ष्मी माता........ जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता । सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता।। जय लक्ष्मी माता........ तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता । खान पान का वैभव, सब तुमसे आता।। जय लक्ष्मी माता....

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शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता । रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।। जय लक्ष्मी माता..... महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता । उर आंनद समाता, पाप उतर जाता।। जय लक्ष्मी माता...... ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निसिदिन सेवत, हर विष्णु धाता।।