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Author- Gaurav 22/10/2023
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महाराष्ट्र के गडचिरोली में गोंड जनजाति के लोग रावण को अपना पूर्वज मानते हुए उसकी पूजा करते हैं। ऐसे में यहां रावण दहन नहीं किया जाता है।
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पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के कांगरा में लोग रावण को भगवान शिव का बड़ा भक्त मानते हैं और उसकी पूजा करते हैं। इसलिए यहां रावण दहन नहीं किया जाता है।
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राजस्थान के मंडोर में भी रावण का दहन नहीं किया जाता है। मान्यता है कि इसी जगह पर रावण और मंदोदरी का विवाह हुआ था।
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यूपी के बिसरख में भी रावण दहन नहीं किया जाता। मान्यता है कि ये रावण का ननिहाल था और यहां के लोग रावण को महा ब्राह्मण मानते हुए उसकी पूजा करते हैं।
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मध्य प्रदेश के मंदसौर में भी रावण की पूजा की जाती है। मान्यता है कि ये स्थान मंदोदरी का मायका था और इसलिए ही यहां के लोग रावण को दामाद मानकर उसकी पूजा करते हैं।
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हिमाचल के बैद्यनाथ में रावण को भगवान शिव का महान भक्त माना जाता है। मान्यता है कि यहीं भगवान शिव ने उसे मोक्ष का वरदान दिया था और इसलिए ही यहां रावण दहन नहीं होता है।
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दक्षिणी राज्य आंध्र प्रदेश के काकिनाड में रावण का मंदिर है। यहां लोग रावण का दहन करने के बजाय उसकी पूजन करते नजर आते हैं।
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यूपी के जसवंतनगर में भी रावण दहन नहीं होता। यहां दशहरा के बाद रावण के तेरहवीं करने की अजूबा परंपरा भी है।
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दक्षिणी राज्य कर्नाटक के मालवल्ली में रावण को भगवान शिव का अनन्य भक्त माना जाता है। इस क्रम में लोग यहां रावण दहन के बजाय उसकी पूजा करते हैं।
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उज्जैन के चिखली गांव में भी रावण का दहन नहीं किया जाता है। मान्यता है कि रावण दहन करने पर पूरा गांव जलकर खाक हो जाएगा।