ये हैं राम मंदिर विवाद के 26 किरदार

Author : Anshika Shukla Date : 14-01-2024

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राम मंदिर

1528 से 2024 यानी 496 साल बाद अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है। मंदिर का उद्घाटन और रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों होगी।

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जुड़े हैं कई किरदार

इस सालों चली लड़ाई में इतिहास के हर कालखंड में कई किरदार थे जो समय समय पर चर्चा में आए। कुछ नाम जो इस बाद से सीधे सीधे जुड़े थे या उसके लिए ज़िम्मेदार थे। आइए जानते हैं इन्हीं किरदारों के बारे में।

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सामाजिक, ऐतिहासिक किरदार

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मीर बाक़ी

साल 1528 में मीर बाक़ी ने बाबरी मस्जिद बनवाई थी।

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फ़्रांसिस बुकानन

बुकानन ब्रिटिश सर्वेयर थे। इन्होंने साल 1813 में एक सर्वे रिपोर्ट लिखी। जिसमें उन्होंने बताया की अयोध्या की मस्जिद की दीवार पर शिलालेख मिला है, जिसमें इसे बाबरी मस्जिद कहा गया।

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महंत रघुबर दास

साल 1885 में महंत रघुबर दस ने पहली बार मंदिर निर्माण के लिए फ़ैज़ाबाद सिविल कोर्ट में याचिका दायर की थी।

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परमहंस रामचंद्र दास

साल 1949 में मूर्तियाँ प्रकट होने के बाद इनका नाम चर्चा में आया। उन्होंने 1990 में अयोध्या में कारसेवकों को जुटाया था।

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महंत अभिराम दास

1949 में मूर्तियाँ प्रकट होने के बाद दर्ज़ हुई एफ़आईआर में अभिराम दास का भी नाम था।

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गोपाल सिंह विशारद

इन्होंने साल 1950 में रामलला की पूजा और दर्शन के लिए फ़ैज़ाबाद कोर्ट में मुक़दमा दर्ज़ किया था।

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केके नायर

जब 1949 में मूर्तियाँ प्रकट हुई तब केके नायर फ़ैज़ाबाद के ज़िलाधिकारी थे। राज्य सरकार और पंडित नेहरू के कहने पर भी नायर ने मूर्तियाँ नहीं हटाई थी।

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महंत नृत्यगोपाल दास

इन्होंने 1990 में कारसेवकों के नेतृत्व किया। 85 साल के महंत श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं।

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चंपत राय

इन्होंने आरएसएस से जुड़कर राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाई।

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राम मंदिर से जुड़े राजनीतिक चेहरे

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राजीव गांधी

साल 1986 में राजीव गांधी ने गर्भगृह का ताला खोलने का आदेश दिया था।

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मुलायम सिंह यादव

साल 1990 में मुलायम सिंह यादव यूपी के सीएम थे। उन्हीं के कहने पर पुलिस ने कारसेवकों पर गोली चलाई थी।

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अशोक सिंहल

अशोक सिंहल विश्व हिंदू परिषद के संस्थापकों में से एक है। बाबरी ढाँचे के टूटने पर दर्ज़ एफ़आईआर में इनका भी नाम था।

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लालकृष्ण आडवाणी

सोमनाथ से लालकृष्ण आडवाणी ने ही 25 सितंबर, 1989 को मंदिर के लिए रथयात्रा शुरू की थी।

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प्रमोद महाजन

प्रमोद महाजन आरएसएस के मराठी अख़बार के उप संपादक थे। इन्होंने ही आडवाणी को पदयात्रा को जगह रथयात्रा निकालने की सलाह दी थी।

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मुरली मनोहर जोशी

इन्होंने राम मंदिर आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा किया था। साल 1992 में बाबरी विध्वंस के समय ये परिसर के नज़दीक ही मौजूद थे।

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पीवी नरसिम्हा राव

पीवी नरसिम्हा राव के कार्यकाल में ही 6 दिसंबर,1992 को बाबरी ढाँचा गिराया गया था।

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कल्याण सिंह

अयोध्या में बाबरी ढाँचा गिराए जाने के समय कल्याण सिंह यूपी के सीएम थे। ये उन 13 लोगों में थे जिनपर बाबरी मस्जिद गिरने की साज़िश का आरोप था।

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उमा भारती

मंदिर आंदोलन के दौरान उमा भारती मुख्य वक्ताओं में से एक थीं।

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नरेंद्र मोदी

पीएम नरेंद्र मोदी शुरुआत से ही राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा थे। मोदी के कार्यकाल में ही राम मंदिर मामले की सुनवाई में तेज़ी आई और साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर निर्माण की मंज़ूरी दी।

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क़ानूनी लड़ाई के नाम

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जज कर्नल चैमियर

साल 1886 में जज कर्नल ने महंत रघुबर दास की याचिका पर फ़ैसला दिया था और माना था कि मस्जिद को हिंदुओं की पवित्र जगह पर बनाया गया

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जज एसके यादव

जज एसके यादव ने 30 सितंबर 2020 को बाबरी ढाँचा गिराए जाने वाले सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया था।

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जस्टिस रंजन गोगोई

जस्टिस रंजन गोगोई राम मंदिर पर फ़ैसला देने वाले पाँच जजों वाली संविधान पीठ की अध्यक्षता की थी।

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जस्टिस एसए बोबडे

अयोध्या पर बनी संविधान पीठ का हिस्सा था। ये जस्टिस रंजन गोगोई के बाद भारत के 47वे चीफ़ जस्टिस बने।

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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़

अयोध्या पर बनी संविधान पीठ का हिस्सा जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ भी थी।

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जस्टिस अशोक भूषण

अयोध्या पर बनी पाँच जजों की पैनल का हिस्सा जस्टिस अशोक भूषण भी थे।

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जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर

अयोध्या पर हनी संविदान पीठ के पाँचवें जज जस्टिस एस अदबुल नज़ीर थे। जनवरी 2023 में रिटायरमेंट के बाद उन्हें आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया।

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राम मंदिर उद्घाटन की तारीख़ के साथ जाने शुभ मुहूर्त

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