Author : Anshika Shukla Date : 14-01-2024
Credits : Google Images
Credit-Google Images
1528 से 2024 यानी 496 साल बाद अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है। मंदिर का उद्घाटन और रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों होगी।
Credit-Google Images
इस सालों चली लड़ाई में इतिहास के हर कालखंड में कई किरदार थे जो समय समय पर चर्चा में आए। कुछ नाम जो इस बाद से सीधे सीधे जुड़े थे या उसके लिए ज़िम्मेदार थे। आइए जानते हैं इन्हीं किरदारों के बारे में।
Credit-Google Images
Credit-Google Images
साल 1528 में मीर बाक़ी ने बाबरी मस्जिद बनवाई थी।
Credit-Google Images
बुकानन ब्रिटिश सर्वेयर थे। इन्होंने साल 1813 में एक सर्वे रिपोर्ट लिखी। जिसमें उन्होंने बताया की अयोध्या की मस्जिद की दीवार पर शिलालेख मिला है, जिसमें इसे बाबरी मस्जिद कहा गया।
Credit-Google Images
साल 1885 में महंत रघुबर दस ने पहली बार मंदिर निर्माण के लिए फ़ैज़ाबाद सिविल कोर्ट में याचिका दायर की थी।
Credit-Google Images
साल 1949 में मूर्तियाँ प्रकट होने के बाद इनका नाम चर्चा में आया। उन्होंने 1990 में अयोध्या में कारसेवकों को जुटाया था।
Credit-Google Images
1949 में मूर्तियाँ प्रकट होने के बाद दर्ज़ हुई एफ़आईआर में अभिराम दास का भी नाम था।
Credit-Google Images
इन्होंने साल 1950 में रामलला की पूजा और दर्शन के लिए फ़ैज़ाबाद कोर्ट में मुक़दमा दर्ज़ किया था।
Credit-Google Images
जब 1949 में मूर्तियाँ प्रकट हुई तब केके नायर फ़ैज़ाबाद के ज़िलाधिकारी थे। राज्य सरकार और पंडित नेहरू के कहने पर भी नायर ने मूर्तियाँ नहीं हटाई थी।
Credit-Google Images
इन्होंने 1990 में कारसेवकों के नेतृत्व किया। 85 साल के महंत श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं।
Credit-Google Images
इन्होंने आरएसएस से जुड़कर राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाई।
Credit-Google Images
Credit-Google Images
साल 1986 में राजीव गांधी ने गर्भगृह का ताला खोलने का आदेश दिया था।
Credit-Google Images
साल 1990 में मुलायम सिंह यादव यूपी के सीएम थे। उन्हीं के कहने पर पुलिस ने कारसेवकों पर गोली चलाई थी।
Credit-Google Images
अशोक सिंहल विश्व हिंदू परिषद के संस्थापकों में से एक है। बाबरी ढाँचे के टूटने पर दर्ज़ एफ़आईआर में इनका भी नाम था।
Credit-Google Images
सोमनाथ से लालकृष्ण आडवाणी ने ही 25 सितंबर, 1989 को मंदिर के लिए रथयात्रा शुरू की थी।
Credit-Google Images
प्रमोद महाजन आरएसएस के मराठी अख़बार के उप संपादक थे। इन्होंने ही आडवाणी को पदयात्रा को जगह रथयात्रा निकालने की सलाह दी थी।
Credit-Google Images
इन्होंने राम मंदिर आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा किया था। साल 1992 में बाबरी विध्वंस के समय ये परिसर के नज़दीक ही मौजूद थे।
Credit-Google Images
पीवी नरसिम्हा राव के कार्यकाल में ही 6 दिसंबर,1992 को बाबरी ढाँचा गिराया गया था।
Credit-Google Images
अयोध्या में बाबरी ढाँचा गिराए जाने के समय कल्याण सिंह यूपी के सीएम थे। ये उन 13 लोगों में थे जिनपर बाबरी मस्जिद गिरने की साज़िश का आरोप था।
Credit-Google Images
मंदिर आंदोलन के दौरान उमा भारती मुख्य वक्ताओं में से एक थीं।
Credit-Google Images
पीएम नरेंद्र मोदी शुरुआत से ही राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा थे। मोदी के कार्यकाल में ही राम मंदिर मामले की सुनवाई में तेज़ी आई और साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर निर्माण की मंज़ूरी दी।
Credit-Google Images
Credit-Google Images
साल 1886 में जज कर्नल ने महंत रघुबर दास की याचिका पर फ़ैसला दिया था और माना था कि मस्जिद को हिंदुओं की पवित्र जगह पर बनाया गया
Credit-Google Images
जज एसके यादव ने 30 सितंबर 2020 को बाबरी ढाँचा गिराए जाने वाले सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया था।
Credit-Google Images
जस्टिस रंजन गोगोई राम मंदिर पर फ़ैसला देने वाले पाँच जजों वाली संविधान पीठ की अध्यक्षता की थी।
Credit-Google Images
अयोध्या पर बनी संविधान पीठ का हिस्सा था। ये जस्टिस रंजन गोगोई के बाद भारत के 47वे चीफ़ जस्टिस बने।
Credit-Google Images
अयोध्या पर बनी संविधान पीठ का हिस्सा जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ भी थी।
Credit-Google Images
अयोध्या पर बनी पाँच जजों की पैनल का हिस्सा जस्टिस अशोक भूषण भी थे।
Credit-Google Images
अयोध्या पर हनी संविदान पीठ के पाँचवें जज जस्टिस एस अदबुल नज़ीर थे। जनवरी 2023 में रिटायरमेंट के बाद उन्हें आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया।