Author: Gaurav Date: 30/1/2024
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बिहार में हुए चारा घोटाले की गूंज देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों तक पहुंची थी। चारा घोटाले में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा पर आरोप लगे थे।
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बिहार के चर्चित सृजन घोटाले के तहत सरकारी विभागों की रकम सीधे विभागीय खातों में न जाकर या वहां से निकालकर सृजन महिला विकास सहयोग समिति नाम के NGO के खातों मे ट्रांसफर कर दी जाती थी। इसके बाद विभागीय लोग सरकारी रुपयों की बंदरबाट करते थे। इसकी जांच आर्थिक अपराध इकाई के हाथों में है।
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बिहार में शौचालय निर्माण के लिए शासन के मनाही के बावजूद करोड़ों का भुगतान सीधे एजेंसी को दिया गया। इस प्रकरण में 2012 से 2015 तक सरकारी रुपयों की खूब हेरा-फेरी हुई।
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लालू सरकार के मंत्री इलियास हुसैन सहित 6 लोगों पर कथित रुप से लाखों रुपये के अलकतरा घोटाला का आरोप लगा था। इसके तहत 1990-91 से 1995-96 के बीच सरकार द्वारा आवंटित किए गए रुपयों में हेर-फेर का मामला सामने आया था।
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वर्ष 2016 में बिहार बोर्ड परिक्षा के दौरान धांधली सामने आई थी और फर्जीवाड़े तरीके से रिजल्ट बनाने का मामला प्रकाश में आया था। इंटर टॉपर्स घोटाले की गूंज भी बिहार के विधानसभा में खूब गूंजी थी।
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वर्ष 2012 में बिहार में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत गर्भाशय ऑपरेशन घोटाला प्रकाश में आया था। इसके तहत कर्मचारियों ने महिलाओं व युवतियों का अवैध तरीके से गर्भाशय निकाल कर बीमा की राशि हड़प ली थी।
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बिहार के कैमूर जिले में वर्ष 2012-13 से 2016-17 तक 21 मिलरों पर धान घोटाले को लेकर शिकायत दर्ज कराई गई जिनपर सरकार के 70 करोड़ से ज्यादा रुपए गबन करने का आरोप लगा था।
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वर्ष 2012-13 में बिहार में चर्चित दवा घोटाला हुआ था जिसके तहत कई सफेदपोश नेताओं पर सवाल उठे थे। दावा किया जाता है कि अधिकारियों की साठ-गांठ से दवा घोटाले में करोड़ों रुपये का हेर-फेर हुआ था।
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वर्ष 2021 के आखिरी माह में एक और पशुपालन घोटाला प्रकाश में आया जिसके तहत पशु शेड निर्माण के नाम पर लाखों रुपयों की हेर-फेर की गई।
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बिहार में आज भी घरातल स्तर पर हर घर नल जल योजना की तस्वीर साफ नजर आती है। आरोप है कि इस योजना में लोहे की कुछ पाइप को मिट्टी के नीचे दबाकर और मानक के विरुद्ध अनियमितता अपनाकर भुगतान कराया गया।