Author : Anshika Shukla Date : 06-01-2024
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यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform civil code) या समान नागरिक संहिता (UCC) में देश में सभी धर्मों, समुदायों के लिए एक सामान, कानून बनाने की वकालत की गई है।
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आसान भाषा में बताया जाए तो इस कानून का मतलब है कि देश में सभी धर्मों, समुदाओं के लिए कानून एक समान होगा। यह संहिता संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत आती है।
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UCC का इतिहास 100 साल से भी ज्यादा पुराना है। ये 19वीं शताब्दी में खोजा जा सकता है जब शासकों ने अपराधों, सबूतों और अनुबंधों से संबंधित भारतीय कानून के संहिताकरण में एकरूपता की आवश्यकता पर बल दिया था।
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भारत की स्वतंत्रता के बाद भी UCC पर चर्चा की गयी। इस पर लोगों के अलग अलग विचार। कुछ इसके पक्ष में थे तो कुछ विपक्ष में।
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डॉ. बी.आर. अम्बेडकर का इस मुद्दे पर मानना था कि UCC केवल एक प्रस्ताव था। वहीं, पंडित जवाहर लाल नेहरू का कहना था, “मुझे नहीं लगता कि वर्तमान समय में भारत में मेरे लिए इसे आगे बढ़ाने का प्रयास करने का समय आ गया है।”
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सुप्रीम कोर्ट ने कई ऐतिहासिक निर्णयों में सरकार से UCC को लागू करने का आह्वान किया है और समय-समय पर न्यायालय ने केंद्र सरकार से इस पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है।
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भारत के शहर केवल गोवा में समान नागरिक संहिता लागू है। इसे 150 साल पहले यहाँ लाया गया था।
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उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने 4 फरवरी 2024 को समान नागरिक संहिता (UCC) के मसौदे को मंजूरी दे दी। उत्तराखंड मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने से राज्य विधानसभा में इसे पेश करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
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