Author : Anshika Shukla Date : 06-01-2024
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यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform civil code) या समान नागरिक संहिता (UCC) में देश में सभी धर्मों, समुदायों के लिए एक सामान, एक बराबर कानून बनाने की वकालत की गई है।
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आइए समझते हैं, पर्सनल लॉ के तहत मुसलमानों को क्या छूट मिली है। यूसीसी के आने से क्या असर होगा।
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भारत में मुसलमान पुरुषों को चार शादी की इजाजत है। एक धारणा है कि मुस्लिम पुरुष ज्यादा शादियां करते हैं, लेकिन भारतीय मुसलमानों में एक से अधिक शादी का चलन हिंदुओं या दूसरे धर्मों की तरह ही है।
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मुसलमानों में तलाक को लेकर अपना शरिया कानून है। शरीयत में इस बारे में विस्तार से है, जिसके तहत मुसलमानों को पर्सनल लॉ में छूट मिली है। शरिया तलाक का कानून, भारत में मौजूद दूसरे धर्मों के कानून या स्पेशल मैरिज एक्ट से अलग है।
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तलाक के बाद महिला को गुजारा-भत्ता के मामले में मुसलमानों में अलग नियम है।
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मुस्लिम महिलाओं को विरासत में हिस्से का अधिकार इस्लाम के आगमन के साथ ही है, लेकिन उनके बंटवारे का हिसाब-किताब अलग है।
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इस्लाम में गोद लेने की इजाजत नहीं है। भारत में गोद लेने का अधिकार है, लेकिन पर्सनल लॉ के कारण मुसलमानों को इस कानून से बाहर रखा गया है।
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भारत में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल रखी गई है, जबकि पर्सनल लॉ में मुस्लिम लड़की के लिए 15 साल के बाद शादी की अनुमति दी गई है।