Author: SUNIL PODDAR Date: 12/04/2024

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मां कूष्मांडा ने की थी सृष्टि की रचना,इसलिए देवी को माना गया है सृष्टि की आदि स्वरूपा और आदि शक्ति

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माँ कूष्मांडा की महिमा

माँ कूष्मांडा की महिमा अद्वितीय है. इनकी उपासना शांत मन से और मधुर ध्वनि के साथ करनी चाहिए

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 अजेय रहने का वरदान

माँ कूष्मांडा की पूजा से अजेय रहने का वरदान मिलता है. कहते हैं जब संसार में चारों ओर अंधियारा छाया था,

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 ब्रह्मांड की रचना की थी

तब माँ कूष्मांडा ने ही अपनी मधुर मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी.

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 नवरात्रि का चौथा दिन

आज है चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन है. इस दिन नवदुर्गा के चौथे स्वरूप माता कूष्मांडा की उपासना की जाती है.

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 ब्रह्मांड को उत्पन्न किया

देवी ने अपनी मंद मुस्कुराहट और अपने उदर से इस ब्रह्मांड को उत्पन्न किया था जिसके चलते इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से जाना जाता है.

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 मां कूष्मांडा की पूजा

उपासना शांत मन के साथ करनी चाहिए. मां कूष्मांडा की पूजा से अजेय रहने का वरदान मिलता है.

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 ब्रह्मांड की रचना की थी

जब संसार में चारों ओर अंधियारा छाया था, तब मां कूष्मांडा ने ही अपनी मधुर मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी

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आदि शक्ति माना गया है

देवी भगवती के कूष्मांडा स्वरूप ने अपनी मंद मुस्कुराहट से ही सृष्टि की रचना की थी इसलिए देवी को सृष्टि की आदि स्वरूपा और आदि शक्ति माना गया है.

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अमृत का कलश

माता रानी की आठ भुजाएं हैं जिसमें से सात में उन्होंने कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत का कलश, चक्र, और गदा लिया हुआ है.

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माँ कूष्मांडा की पूजा

नवरात्रि के चौथे दिन मा कूष्मांडा की पूजा करें. उन्हें भोजन में दही और हलवा का भोग लगाएं