Author- Afsana 18/06/2024
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विद्वान चाणक्य की नीतियों में मौत के मुंह से खुद को बचाने के विषय में भी कुछ नीतियां बताई गई हैं, चलिए जानते हैं वे नीतियां कौन सी हैं।
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चाणक्य कहते हैं कि प्रकृतिक आपदा कई लोगों के जीवन को तहस-नहस कर देता है, जिससे कई लोगों को जान से भी हाथ धोना पड़ता है। चाणक्य कहते हैं कि जितना जल्दी हो सके उस स्थान से दूर हो जाएं, जिससे आप खुद को सुरक्षित रख सकें।
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चाणक्य कहते हैं कि जिस स्थान पर सूखा पड़ जाए आपको तुरंत किसी ओर जगह बसर कर लेना चाहिए, जिससे आप और आपका परीवार भुखमरी से बच सके।
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दंगे फसात वाले स्थान पर रुकना जान के लिए खतरनाक होता है, इसलिए ऐसी जगहों से भी खुद कि जान कि रक्षा करनी चाहिए और वहां से हट जाना चाहिए।
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महामारी की तरह रोग फैलने पर कई लोगों की जान भी चली जाती है, जिससे खुद की जान बचाने के लिए उस स्थान से दूर हो जाना चाहिए।
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जिस जगह पर आपका शत्रु आपकी जान के पीछे पड़ा हो तो उस स्थान को बदल देना चाहिए और रहने के लिए नए स्थान का बंदोबस्त करना चाहिए। इससे भी जान की रक्षा की जा सकती है।
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चाणक्य अपनी नीति में बताते हैं कि नींच लोगों का साथ व्यक्ति की जान पर खतरा बना रहता है क्योंकि वह व्यक्ति कभी भी आपके दुश्मन बन सकते हैं, इसलिए चाणक्य कहते हैं कि ऐसे लोगों से दूर रहें जिससे आप सुरक्षित रहेंगे।
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चाणक्य की नीति के अनुसार जहां भी आपको अपनी जान पर खतरा महसूस हो, उस स्थान को फौरन बदल देना चाहिए। इससे आप अपनी जान की रक्षा खुद कर सकते हैं।