Author- Afsana 9/07/2024
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चाणक्य अपनी सफल नीति शास्त्र में लोगों को ऐसी कई बातें बताते हैं, जिनको व्यक्ति जीवन में अपना कर अपना जीवन दुखों से मुक्त कर सकता है।
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चाणक्य अपनी नीति शास्त्र के सातवें अध्याय में उन चार लोगों से दूर रहने की सलाह देते हैं, जो जीवन के शत्रु हैं, वह लोग जाने अनजाने में भी आपको केवल दुख के अलावा कुछ और लाभ नहीं देते हैं।
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चाणक्य अपनी नीति में इस बात का उल्लेख करते हैं कि जो पिता किसी भी कारण से अपने बच्चों पर कर्ज छोड़ कर दुनिया से रुखसत हो जाता है वो अपने बच्चों के लिए सबसे बड़ा शत्रु माना जाता है।
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पिता के साथ-साथ चाणक्य उन माताओं को भी शत्रु बताते हैं जो हमेशा अपने बच्चों संग बुरा व्यवहार करती है या उनके साथ समय व्यतीत नहीं करती हैं। ऐसी माताएँ भी चाणक्य के अनुसार बालक की शत्रु होती हैं।
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चाणक्य कहते हैं ज्यादा अधिक सुंदर पत्नी भी पुरुष के लिए शत्रु से कम नहीं है, क्योंकि उससे परिवार कलंकित होता है और पति के दुश्मन भी बन जाते है।
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चाणक्य का कहना है कि मुर्ख पुत्र का होना भी माता पिता के लिए शत्रु के समान ही माना जाता है, ऐसे पुत्र माता पिता को केवल पीड़ा ही पहुंचाते हैं।
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चाणक्य मुर्ख पुत्र को शत्रु इसलिए भी कहते हैं क्योंकि इससे माता पिता को समाज में शर्मिंदगी भी झेलनी पड़ती है। इसलिए भी चाणक्य मुर्ख पुत्र को शत्रु कहते हैं।
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चाणक्य के द्वारा बताए गए इन सभी लोगों के संपर्क में यदि आप भी हैं तो आज ही आपको इन सभी लोगों से दूरी बना लेनी चाहिए, वरना आप भी मुसीबत में पड़ सकते हैं।
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