लू चलना शुरू होती है शरीर में भी गर्माहट बढ़ना शुरू हो जाती है. इसका असर शरीर के अलग-अलग हिस्से में रक्त पहुंचाने वाली रक्तवाहिनियां पर पड़ना शुरू होता है
हमारे शरीर का तापमान हमेशा 37 डिग्री सेल्सियस होता है। इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते हैं।
पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37 डिग्री सेल्सियस टेम्प्रेचर मेंटेन रखता है, लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत जरुरी और आवश्यक है।
पानी शरीर में इसके अलावा भी बहुत कार्य करता है, जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना शुरू करता है।
जब बाहर का टेम्प्रेचर 45 डिग्री के पार हो जाता है और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37 डिग्री से ऊपर पहुँचने लगता है।
शरीर का तापमान जब 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त में उपस्थित प्रोटीन पकने लगता है।
स्नायु कडक़ होने लगते हैं इस दौरान सांस लेने के लिए जरुरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते हैं।
शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है, ब्लडप्रेशर लो हो जाता है, महत्वपूर्ण अंग तक ब्लड सप्लाई रुक जाती है।
इसी कारण से इंसान की मौत हो जाती है।