E-Vehicle Policy: देश और दुनिया में इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते क्रेज को देखते हुए केन्द्र सरकार के द्वारा लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। जिसका फायदा ग्राहकों सहित कंपनियों को मिल रहा है। क्योंकि आने वाले समय में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों और बढ़ते प्रदूषण पर विराम लगाने के लिए बिजली से चलने वाले वाहन एक अच्छे विकल्प के तौर पर देख जा रहे हैं। यही वजह है कि, देश में कई देसी और विदेशी कंपनियां एक से बढ़कर एक इलेक्ट्रिक वाहनों को पेश कर रही हैं। इस बीच मोदी सरकार के द्वारा एक बड़ा कदम उठाया गया है। इलेक्ट्रिक वाहन नीति को सरकार ने मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही न्यूनतम निवेश 50 करोड़ डॉलर तय किया है।
इलेक्ट्रिक वाहन नीति को सरकार से मिली मंजूरी
इसकी जानकारी एक्स पर ANI ने पोस्ट करते हुए दी है। जिसमें बताया गया है कि,”भारत सरकार ने देश को इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण गंतव्य के रूप में बढ़ावा देने के लिए ई-वाहन नीति को मंजूरी दे दी है। न्यूनतम निवेश 4150 करोड़ रुपये आवश्यक है, अधिकतम निवेश पर कोई सीमा नहीं है। भारत में विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने और ईवी का व्यावसायिक उत्पादन शुरू करने के लिए 3 साल की समयसीमा; अधिकतम 5 वर्षों के भीतर 50% घरेलू मूल्यवर्धन हासिल किया जाएगा। ईवी के लिए विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने वाली कंपनियों को कम सीमा शुल्क पर कारों के सीमित आयात की अनुमति दी जाएगी: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय।”
केन्द्र सरकारी की तरफ से मंजूरी मिलते ही उन कंपनियों को बड़ी राहत मिली है जो कि, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण करना चाहती हैं। सरकार से इस फैसले से दुनिया की नामी कंपनियां भारत की तरफ निवेश करने के लिए आकर्षित होंगी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने क्या कहा?
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि,‘यह भारतीय उपभोक्ताओं को नवीनतम तकनीक तक पहुंच प्रदान करेगा, ‘मेक इन इंडिया’ (भारत में उत्पादन करो) पहल को बढ़ावा देगा, ईवी कंपनियों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर ईवी परिवेश को मजबूत करेगा, जिससे उत्पादन की उच्च मात्रा, पैमाने की अर्थव्यवस्थाएं, उत्पादन की कम लागत और आयात में कमी आएगी, कच्चे तेल की आयात कम होगी, व्यापार घाटा कम होगा, विशेषकर शहरों में वायु प्रदूषण कम होगा और स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।’
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