Friday, November 22, 2024
HomeऑटोElectric Vehicles: EV इंडस्ट्री में क्या बैटरी रीसाइक्लिंग साबित होगा मील का...

Electric Vehicles: EV इंडस्ट्री में क्या बैटरी रीसाइक्लिंग साबित होगा मील का पत्थर?

Date:

Related stories

UP News: यूपी के इन प्रमुख शहरों में अब इलेक्टिक वाहन चालकों की होगी मौज, जल्‍द यहां बनेंगे ई-चार्जिंग स्टेशन; विस्‍तार से जानें पूरी...

UP News: परिवहन के क्षेत्र में वर्तमान स्थिति को देखते हुए कहा जा रहा है कि भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहन ही ज्यादातर सड़कों पर नजर आएंगे। इससे लोगों की बचत होने के साथ ही पर्यावरण पर भी कम असर पड़ेगा।

Electric Vehicles: भारत समेत दुनिया भर में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (Electric Vehicles) की मांग काफी तेजी से बढ़ रही है। साल 2023 में इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड में और उछाल आया है। इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी रीसाइक्लिंग होने से कैसे ग्रीन सेक्टर में तेजी ला सकती है।

आपको बता दें कि दुनियाभर में बैटरी की मार्केट लगातार बढ़ रही है। आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया में 19 फीसदी की वृद्धि के साथ बैटरी की मांग बढ़ रही है। साथ ही साल 2025 तक बैटरी बाजार 132 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। जानिए कैसे बैटरी की रीसाइक्लिंग जरूरी है, जो कि पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाता है।

क्यों जरूरी है बैटरी रीसाइक्लिंग

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बैटरी प्रोडक्शन स्क्रैप 2030 तक 800 टन होने की संभावना है। बैटरी रीसाइक्लिंग का प्रोसेस लीथियम बैटरी के खास मैटिरयल को एक बार फिर से इस्तेमाल किया जाता है। बैटरी रीसाइक्लिंग का होना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो इसके पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो सकते हैं। साथ ही बैटरी रीसाइक्लिंग से कच्चे माल की जरूरत कम हो जाती है। ऐसा करने से नेचुरल संसाधनों की बचत होती है।

बैटरी रीसाइक्लिंग के क्या हैं फायदे

इसके साथ ही बैटरी रीसाइक्लिंग से कम खतरनाक प्रोडक्ट लैंडफिल साइट्स में चला जाता है। ऐसे में ये मिट्टी के साथ जल को भी कम प्रदूषित करता है। वहीं, ये लैंडफिल साइट्स को भी कम खतरा देता है।

अगर बैटरी रीसाइक्लिंग उचित ढंग से होती है तो ये खतरनाक पदार्थों को सुरक्षित तौर पर नियंत्रित कर सकता है। साथ ही ये पर्यावरण में जहरीली रिसाव को रोकता है। इस वजह से इंसानी स्वास्थ्य भी सही रहता है।

दो तरह से हो सकती है बैटरी रीसाइक्लिंग

ईवी सेक्टर में लिथियम ऑयन बैटरी का दो तरह से रीसाइक्लिंग किया जाता है। इसमें पाइरोमेटालर्जी और हाइड्रोमेटालर्जी शामिल है।

पाइरोमेटालर्जी तरीका

बैटरी रीसाइक्लिंग का पाइरोमेटालर्जी तरीका प्रोडक्ट निकालने के लिए गर्मी का इस्तेमाल करता है। इसके लिए एक मिश्रित धांतु का उत्पादन करता है। हालांकि, लिथियम आम तौर पर स्लैग स्ट्रीम में गुम हो जाता है। इसके बाद इसके आगे के प्रोसेस के लिए हाइड्रोमेटालर्जी तरीके की जरूरत होती है।

हाइड्रोमेटालर्जी तरीका

वहीं, बैटरी रीसाइक्लिंग का हाइड्रोमेटालर्जी तरीका है। इस तकनीक के जरिए सीधे तौर पर ब्लैक मास लिक्विड को रिफाइन किया जाता है। बताया जाता है कि इस प्रोसेस में अधिक कीमती धातुओं की रिकवरी हो जाती है। यही वजह है कि हाइड्रोमेटालर्जी का सबसे बड़ा हिस्सा एशिया-प्रशांत क्षेत्र में उपयोग किया जाता है।

हालांकि, इसकी प्रक्रिया के दौरान बहुत अधिक जहरीली गैसे निकलती है। साथ ही इस तकनीक की लागत भी काफी अधिक होती है। फिलहाल इसके यूरोप और अमेरिका में विस्तार होने की संभावना है।

देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘DNP INDIA’ को अभी subscribe करें। आप हमें FACEBOOKINSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो कर सकते हैं।   

Amit Mahajan
Amit Mahajanhttps://www.dnpindiahindi.in
अमित महाजन DNP India Hindi में कंटेंट राइटर की पोस्ट पर काम कर रहे हैं.अमित ने सिंघानिया विश्वविद्यालय से जर्नलिज्म में डिप्लोमा किया है. DNP India Hindi में वह राजनीति, बिजनेस, ऑटो और टेक बीट पर काफी समय से लिख रहे हैं. वह 3 सालों से कंटेंट की फील्ड में काम कर रहे हैं.

Latest stories