Petrol Density in India: आप अक्सर अपनी गाड़ी में पेट्रोल और डीजन डलवाने के लिए पेट्रोल पंप जाते हैं। ऐसे में लोगों को कई तरह के सवाल (Petrol Density in India) रहते हैं, जिनके सवालों के जवाब उन्हें नहीं मिल पाते हैं। आज हम इस खबर में एक ऐसे ही सवाल का जवाब जानने की कोशिश करेंगे। दरअसल गाड़ी में पेट्रोल या डीजल डलवाते समय लोगों को ये दुविधा रहती है कि वे किस टाइम पर पेट्रोल भरवाएं, जिससे कि उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाला ईंधन मिलें। साथ ही गाड़ी की माइलेज भी बेहतर आए। अगर आप भी इस सवाल का उत्तर जानना चाहते हैं तो नीचे इस खबर में जानिए।
टेंपरेचर का पड़ता है असर
कई लोगों को मानना है कि सुबह और रात के टाइम में टेंपरेचर का अंतर होता है। ऐसे में इसका असर पेट्रोल या डीजल की डेंसिटी पर पड़ता है। दिन के समय में तापमान अधिक होने के चलते ईंधन की डेंसिटी कम होती है, इसलिए गाड़ी की माइलेज और क्षमता भी कम हो जाती है।
जानें क्या है सच्चाई
आपको बता दें कि ये दावा पूरी तरह से गलत है। सरकार ने पेट्रोल और डीजल भरवाने की डेंसिटी निर्धारित कर रखी है। ऐसे में आप किसी भी टाइम फ्यूल भरवाएं, इससे डेंसिटी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। टेंपरेचर से ईंधन की डेंसिटी पर असर तो पड़ता है, मगर इसे नियंत्रित किया जाता है। ऐसे में अगर आपको तय मानको से कम डेंसिटी पर फ्यूल मिल रहा है तो समझिए कि आपके साथ धोखेबाजी हो रही है।
इस तरह से चेक करें फ्यूल की डेंसिटी
ईंधन की डेंसिटी नापने के लिए फीलिंग मशीन में ही रीडिंग दी गई होती है। ऐसे में पेट्रोल की डेंसिटी 730 से 800 किलोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होती है। वहीं, डीजल की डेंसिटी 830 से 900 किलोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होती है। आगे से कभी भी पेट्रोल या डीजल भरवाते समय मशीन में 0 पर नजर रखें।
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