Dark Patterns: सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों के डार्क पैटर्न (Dark Patterns) इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार ने ये फैसला ग्राहकों को मार्केटिंग स्कैम से बचाने के लिए उठाया है। सरकार के इस निर्णय के बाद अब कस्टमर्स को बेवकूफ नहीं बना जा सकेगा। इस संबंध में सरकार ने दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं। नीचे जानें क्या है डार्क पैटर्न और इसके प्रतिबंध से ग्राहकों को कैसे फायदा हो सकता है।
जानें क्या है Dark Pattern
ई-कॉमर्स कंपनियां डार्क पैटर्न का उपयोग करके ग्राहकों को किसी उत्पाद को खरीदने पर मजबूर करती हैं। अगर आम भाषा में बताए तो डार्क पैटर्न का इस्तेमाल कस्टमर्स को भ्रमित करने के लिए किया जाता है।
आपने शॉपिंग साइट्स पर अक्सर देखा होगा कि वहां पर लिखा होता है कि स्टॉक खत्म होने वाला है या फिर स्टॉक में 1 या 2 प्रोडक्ट ही बचे हैं। इसी को डार्क पैटर्न कहते है। ऐसे में ग्राहकों को इन स्कैम से बचाने के लिए सरकार ने डार्क पैटर्न पर बैन लगाने का फैसला लिया है।
नोटिफिकेशन हुई जारी
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) ने 30 नवंबर को एक नोटिफिकेशन जारी किया था। ये नोटिफिकेशन जीएसटी वाले सभी प्लेटफॉर्म पर लागू होगा। साथ ही ये विज्ञापन देने वाले और सेलर पर मान्य होगा।
सरकार ने जारी की गाइडलाइंस
सरकार की नई गाइडलाइंस के मुताबिक, अगर ई-कॉमर्स कंपनियां ने डार्क पैटर्न का उपयोग किया तो इसे कस्टमर्स के अधिकारों का उल्लंघन माना जाएगा। ऐसे में नियमों के उल्लंघन पर कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत जुर्माना लगाया जाएगा।
डार्क पैटर्न से ग्राहकों को लूटा जाता है
डार्क पैटर्न का यूजर इंटरफेस कुछ इस तरह से तैयार किया जाता है कि ग्राहकों को गुमराह किया जा सकें। डार्क पैटर्न का इस्तेमाल ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन भी होता है। ऐसे में इसके जरिए कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स को ग्राहकों को खरीदने पर मजबूर कर देती हैं। ऐसे में कस्टमर्स इन कंपनियों के जाल में फंसकर उस सामान को खरीद लेता है।
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