E-Stamp: किसी संपत्ति की खरीद या बिक्री को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए सरकार को स्टांप शुल्क का भुगतान करना पड़ता है भारत में अब इसे इलेक्ट्रॉनिक तरीके से किया जा सकता है। जिसे ई स्टाम्प के नाम से जाना जाता है। बता दें कि भारत सरकार ने जुलाई 2013 में ई स्टांपिंग की शुरूआत की थी। इसका उद्देश्य स्टांप शुल्क का भुगतान करते समय धोखाधड़ी और गलतियों को कम करना था।
E-Stamp पेपर क्या है?
E-Stamp पेपर एक ऐसी प्रक्रिया है। जहां सरकार को स्टांप शुल्क का भुगतान इलेक्ट्रॉनिक रूप से किया जाता है। सरकार ने तेज और परेशानी मुक्त भुगतान प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए पारंपरिक कागज और फ्रैंकिंग स्टैंपिग पद्धति के डिजिटल रणनीति से बदल दिया है। बता दें कि एक आंकड़े के मुताबिक फिलहाल यह सेवा भारत के 22 राज्यों में उपलब्ध है। बता दें कि एसएचसीआईएल ई-स्टापिंग की सेवा प्रदान करने के लिए कोई भी शुल्क नही लेता है। हालांकि आपको स्टांप शुल्क का भुगतान करना होता है जो अलग राज्यों में अलग अलग होता है।
E-Stamp पेपर खरीदने का पूरा प्रोसेस
●एसएचसीआईएल की आधिकारिक वेबसाइट https://www.stockolding.com/estamp-index.html पर जाएं।
●राज्य और जिला का चयन करे।
●लेन-देन विवरण दर्ज करे।
●स्टाम्प शुल्क की गणना करे।
●ऑनलाइन भुगतान करे।
●ई-स्टाम्प प्रमाणपत्र जनरेट करे।
●प्रमाणपत्र डाउनलोड करे।
●प्रमाणपत्र सत्यापित करे।
●ई-स्टाम्प पेपर प्रिंट करे।
●कानूनी लेन-देन के लिए उपयोग करे।
भारत में E-Stamp पेपर कब लॉन्च हुआ था?
भारत सरकार ने जुलाई 2013 में ई-स्टांपिंग सुविधा शुरू की। इसका उद्देश्य स्टांप शुल्क का भुगतान करते समय धोखाधड़ी और गलतियों को कम करना था। एसएचसीआईएल रूप में संक्षिप्त किया गया है। सेंट्रल रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसी(सीआरए) के पास भारत में ई-स्टांप प्रमाण पत्र देने का अधिकार है।
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