Wednesday, December 18, 2024
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EPF vs PPF vs VPF, कौन है निवेश के लिए बेहतर विकल्प? जानें पूरी डिटेल

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EPF vs PPF vs VPF: युवा पेशेवरों की बढ़ती संख्या अब रिटायरमेंट योजना को महत्व को समझ रही है। आजकल हर कोई एक बेहतर निवेश का विकल्प तलाश रहा है ताकि रिटायरमेंट के वक्त उन्हें एक अच्छा रिटर्न मिल सके और उनका पैसा भी सुरक्षित रहें। कुछ ऐसे निवेश है जिसमे आपको तगड़ा रिटर्न मिलता है, और आपका पैसा भी सुरक्षित रहता है। बता दें कि ये योजनाएं अत्याधिक सुरक्षित है औऱ स्थिर रिटर्न प्रदान करती है। हालांकि यह योजनाएं लंबे समय के लिए जानी जाती है। चलिए आपको बताते है कम जोखिम व वाले निवेश के बारे में जिसमें आप निवेश कर सकते है। ईपीएफ, वीपीएफ और पीपीएफ क्या है, और इन तीनों में से आपको किसमे निवेश करना चाहिए।

ईपीएफ क्या है?

बता दें कि कर्मचारी भविष्य निधि एक रिटायरमेंट लाभ योजना है जिसमे किसी भी संगठन के कर्मचारी अपने मूल वेतन का एक छोटा हिस्सा मासिक योगदान करते है। साथ ही नियोक्ता भी योजना के लिए अपनी ओर से इतनी ही राशि का योगदान देता है। अगर आसान भाषा में समझे तो आपका नियोक्ता हर महीने आपकी सैलरी से एक निश्चित राशि काटता है और इसे आपके ईपीएफ खाते में योगदान के साथ डालता है।

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) क्या है?

गौरतलब है कि पीपीएफ निवेश के लिहाज से निवेशकों के बीच काफी लोकप्रिय योजना है, इस निवेश के कई फायदे है। पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक कर-बचत आय निवेश योजना है। इस स्कीम में निवेश करने के लिए आपको भारत का नागरिक होना चाहिए। न्यूनतम जमा राशि 500 ​​रुपये प्रति वर्ष है, एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम सीमा 15 लाख रुपये है। बता दें कि वर्तमान पीपीएफ ब्याज दर 7.1% है, जो हर तिमाही में संशोधित होती है। गौरतलब है कि पीपीएफ में निवेश आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत कर कटौती के लिए पात्र हैं। अर्जित ब्याज और परिपक्वता राशि कर-मुक्त हैं।

वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड (वीपीएफ) क्या है?

बता दें कि वीपीएफ ईपीएफ का ही विस्तार है। यहां कर्मचारी 12 प्रतिशत के योगदान के लिए सीमित नही है। गौरतलब है कि कर्मचारी इस स्कीम में महंगाई भत्ते के साथ अपने मूल वेतन का अधिकतम 100 प्रतिशत तक योगदान कर सकते है। मालूम हो कि इस योजना के तहत नियोक्ता कोई योगदान नहीं देता है।

पीपीएफ या ईपीएफ में से कौन है बेहतर?

●आपको बता दें कि ईपीएफ में निवेश पर ब्याज दर 8.1% है जबकि पीपीएफ खाते के लिए यह 7.1% है। वहीं सरकार की तरफ से हर तिमाही में ब्याज दर में बदलाव किए जाते है।

●नौकरी छोड़ने के बाद आप एक तय समय बाद ईपीएफ से पैसा निकाल सकते है, लेकिन पीपीएफ में जमा पैसा मैच्योरिटी यानि रकम जमा करने की तारीख से 15 साल तक नहीं निकाली जा सकती है।

● कोई भी व्यक्ति पीपीएफ खाते पर ऋण ले सकता है जबकि कोई व्यक्ति व्यक्तिगत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ईपीएफ खाते से पैसा निकाल सकता है।

●ईपीएफ खाते का उपयोग केवल वेतनभोगी व्यक्ति ही कर सकते हैं जबकि पीपीएफ खाता सभी लोग खोल सकते हैं।

पीपीएफ या वीपीएफ में से कौन है बेहतर?

●वीपीएफ खाता केवल वेतनभोगी कर्मचारियो के लिए है जबकि पीपीएफ खाता कोई भी खोल सकता है।

●वीपीएफ पर सरकार की तरफ से अभी 8.25% का ब्याज दर दिया जा रहा है। वहीं सरकार की तरफ से पीपीएफ खाते पर 7.1% ब्याज मिल रहा है।

●पीपीएफ खाते से मिला हुए रिटर्न पर ब्याज नही लगता है। दूसरी ओर वीपीएफ खाते में किया गया योगदान भारतीय आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 सी के तहत कर कटौती के लिए योग्य है।

●पीपीएफ खाते की परिपक्वता अवधि 15 वर्ष है। लेकिन जब वीपीएफ खातों की बात आती है, तो नियोक्ता अपनी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जब भी आवश्यकता हो, धनराशि निकाल सकते हैं।

●बता दें कि अगर कोई कर्मचारी 5 वर्ष पूरा होने से पहले वीपीएफ खाते से धनराशि निकालता है तो राशि पर टैक्स लगता है।

निवेश विकल्प ईपीएफ, वीपीएफ और पीपीएफ की अपनी खूबियां और खामियां हैं। ऊपर दी गई जानकारी से हम देख सकते हैं कि निवेश पर रिटर्न, नियोक्ता योगदान, तरलता के मामले में ईपीएफ और वीपीएफ का स्कोर पीपीएफ से अधिक है। हालंकि निवेशक अपने जरूरतों के हिसाब से यह चयन कर सकते है।

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