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HDFC Bank ने ग्राहकों को दिया बड़ा झटका! MCLR रिवाइज करने से महंगा हुआ लोग; जानें कैसे EMI पर पड़ेगा असर?

HDFC Bank: HDFC ने कुछ पीरियड के लोन पर MCLR को रिवाइज किया है जिसका असर होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटो लोन समेत सभी तरह के EMI पर पड़ेगा। दावा किया जा रहा है कि इससे EMI अब पहले की तुलना में बढ़ जाएगी।

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HDFC Bank
फाइल फोटो- HDFC Bank (प्रतीकात्मक)

HDFC Bank: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक के रूप में अपने कार्य प्रणाली की शुरुआत करने वाले देश के सबसे बड़े प्राइवेट सेक्टर बैंक HDFC ने ग्राहकों को बड़ा झटका दिया है। जानकारी के मुताबिक HDFC Bank ने कुछ पीरियड के लोन पर मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) को रिवाइज किया है। इससे होम लोन से लेकर पर्सनल लोन और ऑटो लोन समेत सभी तरह के फ्लोटिंग लोन की EMI प्रभावित होगी और ग्राहकों की देनदारी बढ़ जाएगी। दावा किया जा रहा है कि HDFC बैंक के इस कदम से करोड़ों कर्मचारी प्रभावित होंगे और इसका असर उनकी जेब पर पड़ेगा।

HDFC Bank ने ग्राहकों को दिया झटका

HDFC बैंक ने अपने वित्तिय कार्य प्रणाली के तहत कुछ पीरियड के लोन पर मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) को रिवाइज किया है। आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों की मानें तो HDFC के इस कदम से होम लोन, पर्सनल लोन, ऑटो लोन समेत सभी तरह के बैंक लोन की EMI प्रभावित होगी और ग्राहकों की देनदारी बढ़ जाएगी। इसके अलावा बैंक (Bank) से नया लोन लेने वाले ग्राहकों को भी महंगा लोन उठाना पड़ेगा।

HDFC के इस फैसले के तहत MCLR रेट अब 9.05% से लेकर 9.40% के बीच होगी जो कि 8 जुलाई यानी आज से लागू की जाएगी।

कितनी होगी MCLR रेट?

HDFC बैंक की ओर से कुछ पीरियड के लोन पर मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) को रिवाइज किया गया है। इसके तहत मासिक से लेकर वार्षिक तक की दरें बढ़ जाएंगी। ऐसे में आइए हम आपको नए रिवाइज MCLR रेट के बारे में बताते हैं।

समयावधिMCLR रेट
ओवरनाइट9.05%
1 महीना9.10%
3 महीना9.20%
6 महीना9.35%
1 वर्ष9.40%
2 वर्ष9.40%
3 वर्ष9.40%

क्या है MCLR रेट?

बैंकिंग टर्म के अनुसार MCLR को मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट के नाम से जाना जाता है। बैंकों के लिए MCLR रेट तय करते समय डिपॉजिट रेट, रेपो रेट, ऑपरेशनल कॉस्ट और कैश रिजर्व रेशियो को बनाए रखने की कॉस्ट को ध्यान में रखा जाता है। इसका उपयोग बैंक होम लोन सहित विभिन्न ऋणों पर ब्याज दर की गणना करने के लिए किया जाता है।

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