Hindenburg Report: रविवार को, अदानी ग्रुप ने अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए हालिया आरोपों को सख्ती से खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि समूह के सेबी चेयरपर्सन माधबी बुच और उनके पति धवल बुच के साथ वित्तीय संबंध थे। अदानी समूह ने आरोपों को “दुर्भावनापूर्ण, शरारती और चालाकीपूर्ण” बताते हुए इसकी निंदा की और कहा कि ये तथ्यात्मक सबूतों पर आधारित होने के बजाय व्यक्तिगत लाभ के लिए एक व्यापक योजना का हिस्सा हैं।
अडानी ग्रुप ने आरोपों को किया खारिज
हिंडनबर्ग के आऱोपों पर अदानी ग्रुप ने बयान जारी करते हुए कहा कि आपको बता दें कि अदानी ग्रुप हिंडनबर्ग के नवीनतम आरोप तथ्यों और कानून की उपेक्षा के साथ व्यक्तिगत मुनाफाखोरी के लिए पूर्व-निर्धारित निष्कर्षों पर पहुंचने के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी का दुर्भावनापूर्ण, शरारती और चालाकीपूर्ण चयन हैं।
हम अदानी समूह के खिलाफ इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हैं, जो बदनाम दावों का पुनर्चक्रण है, जिनकी गहन जांच की गई है, जो निराधार साबित हुए हैं और जनवरी 2024 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पहले ही खारिज कर दिए गए हैं।
सेबी के अध्यक्ष ने भी दी प्रतिक्रिया
गौरतलब है कि हिंडनबर्ग ने सेबी के अध्यक्ष पर आरोप लगाया कि अडानी मनी साइफन घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड्स में सेबी चीफ और उनके पति की
हिस्सेदारी थी। हालांकि आरोप पर सेबी प्रमुख और उनके पति ने आरोपों का खंडन करते हुए एक संयुक्त बयान जारी किया। उन्होंने इन आरोपों को बाजार नियामक, सेबी द्वारा फर्म के खिलाफ की गई प्रवर्तन कार्रवाई के प्रतिशोध में हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा चरित्र हनन का प्रयास बताया। हमारा जीवन और वित्त एक खुली किताब है। आवश्यकतानुसार सभी खुलासे पिछले कुछ वर्षों में सेबी को पहले ही प्रस्तुत किए जा चुके हैं। हमें किसी भी और सभी वित्तीय दस्तावेजों का खुलासा करने में कोई झिझक नहीं है, जिसमें वे दस्तावेज भी शामिल हैं जो उस अवधि से संबंधित हैं जब हम पूरी तरह से निजी नागरिक थे।
हिंडनबर्ग ने सेबी अध्यक्ष पर लगाया गंभीर आरोप
मालूम हो कि 10 अगस्त को, हिंडनबर्ग रिसर्च – अदानी समूह पर 2023 की रिपोर्ट के पीछे शॉर्ट सेलर ने एक नए नोट में आरोप लगाया कि सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच की अदानी मामले से जुड़ी ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सेदारी थी। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बरमूडा और मॉरीशस में स्थित इन फंडों को कथित तौर पर गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी द्वारा नियंत्रित किया गया था, और इसका इस्तेमाल फंड में हेरफेर करने और स्टॉक की कीमतें बढ़ाने के लिए किया गया था।