Income Tax News: आईटीआर दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कई करदाताओं ने तो आईटीआर दाखिल भी कर दिया है। मालूम हो कि आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई 2024 है। लेकिन क्या आपको पता है कि आईटीआर दाखिल करते समय एक छोटी सी गलती से आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे उन 8 गलतियों के बारे में जिसे करदाता को आईटीआर भरते समय भूल कर भी नहीं करना चाहिए।
तारीख खत्म होने के बाद आईटीआर भरना
मालूम हो कि आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई 2024 है। अगर कोई करदाता समय सीमा खत्म होने के बाद आईटीआर दाखिल करता है तो आयकर विभाग की तरफ से भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।
आईटीआर फॉर्म का गलत चयन
आयकर विभाग की वेबसाइट पर कई तरह के आईटीआर फॉर्म उपलब्ध है जो अलग-अलग करदाताओं के लिए है। जैसे – फॉर्म – 1 , फॉर्म -4 आदि। इसी बीच अगर कोई करदाता आईटीआर दाखिल करते समय गलत फॉर्म का चयन कर लेता है तो आयकर विभाग की तरफ से इसपर जुर्माना लगाया जा सकता है।
फॉर्म – 26AS को चेक नहीं करना
आईटीआर दाखिल करते समय फॉर्म 26एएस एक अहम दस्तावेज के रूप में माना जाता है। मालूम हो कि आपकी आय की टीडीएस, भुगतान किए गए स्व-मूल्यांकन कर और भुगतान किए गए अग्रिम टैक्स की जानकारी प्रदान करता है। अगर करदाता फॉर्म 26AS सही तकीकें से चेक नहीं करते है तो उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है।
आईटीआर वेरिफाई नहीं करना
आईटीआर दाखिल करने के बाद प्रक्रिया को पूरा करने के लिए आईटीआर को सत्यापित करना महत्वपूर्ण है। कई करदाता इस प्रोसेस को पूरा नहीं करते हैं, जिससे उनका रिटर्न अमान्य हो जाता है। सत्यापन इलेक्ट्रॉनिक रूप से आधार ओटीपी, नेट बैंकिंग के माध्यम से या सीपीसी कार्यालय को एक हस्ताक्षरित भौतिक प्रति भेजकर किया जा सकता है।
पर्सनल जानकारी गलत देना
आईटीआर भरते समय करदाता को अपनी पर्सनल जानकारी दर्ज करनी होती है जिसमे आपका बैंक अकाउंट, नाम , मोबाइल नंबर पैन कार्ड की जानकारी शामिल है। दी गई जानकारी में गलती पाई जाती है तो आयकर विभाग रिटर्न कैंसिल कर सकता है।
अपनी आय के स्त्रोत की जानकारी नहीं देना
अन्य स्त्रोतों से आय, जैसे बचत खातों से ब्याज या लाभांश, को आयकर अधिनियम की धारा 56 के तहत सूचित किया जाना चाहिए। अगर करदाता ऐसा करने में असफल हो जाते है तो आयकर विभाग द्वारा उनपर कार्रवाई की जा सकती है।
गलत बैंक की जानकारी दर्ज करना
बैंक की गलत जानकारी दर्ज करना जिसमें आईएफएससी कोड, खाता नंबर रिफंड पाने के लिए बहुत ही जरूरी होता है। अगर किसी कारण से करदाता गलत जानकारी दर्ज करते है तो उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
छूट प्राप्त आय का उल्लेख नहीं
करदाता को छूट प्राप्त आय की भी सूचना दी जानी चाहिए। उदाहरण के लिए एक घर की बिक्री से प्राप्त पूंजीगत लाभ जिसे दूसरे घर खरीदने के लिए पुनर्निवेश किया जाता है, धारा 54 के तहत छूट प्राप्त है, लेकिन आईटीआर में इसकी जानकारी नहीं देने पर आयकर विभाग द्वारा कार्रवाई की जा सकती है।