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Income Tax News: क्या Stock Market में निवेश करके बच सकता है टैक्स?

Income Tax News: Stock Market में निवेश करके टैक्स बच सकता है। क्या आप इस सवाल का जवाब जानते हैं, अगर नहीं तो पढ़ें खबर।

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Income Tax News
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Income Tax News: देश में इन दिनों टैक्स बचत को लेकर काफी चर्चा हो रही है। अगले कुछ दिनों में बजट पेश होने वाला है। ऐसे में हर इनकम टैक्स (Income Tax) देने वाले की नजर बजट पर होगी। मगर बजट से पहले लोग टैक्स बचाने के लिए निवेश के नए-नए तरीके खोज रहे हैं।

ऐसे में क्या शेयर बाजार में निवेश करके टैक्स बचाया जा सकता है? इस सवाल का जवाब हर कोई जानना चाहता है। आपको बता दें कि शुरुआत करने के लिए इक्विटी निवेश आपका विशेष धारा 80सी निवेश नहीं है, जो आपको टैक्स छूट देता है। मगर इक्विटी में निवेश से आप कई लाभ उठा सकते हैं। नीचे पढ़िए आगे की जानकारी।

RGESS के तहत निवेश

राजीव गांधी इक्विटी बचत योजना (आरजीईएसएस) को साल 2012 में लॉन्च किया गया था। इसे लाने की पीछे का मकसद था कि इससे स्मॉल और इक्विटी मार्केट में पहली बार शामिल हो रह निवेशकों को प्रेरित किया जा सकें।

RGESS के तहत 12 लाख रुपये तक की सालाना आय वाले इक्विटी में नए निवेशक इक्विटी में निवेश की गई राशि के 50 फीसदी तक की छूट का लाभ उठा सकते हैं, जो अधिकतम 50,000 रुपये है। वहीं, पहली बार निवेशक इक्विटी में 50,000 रुपये आवंटित करता है, तो कुल टैक्स योग्य आय से धारा 80CCG के तहत 25,000 रुपये की छूट काटी जा सकती है। यह लाभ तीन साल की अवधि में उठाया जा सकता है।

ELSS निवेश स्कीम

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह प्रत्यक्ष इक्विटी नहीं बल्कि अप्रत्यक्ष इक्विटी निवेश है। इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम यानी ईएलएसएस इक्विटी म्यूचुअल फंड हैं, जो 3 साल की समय सीमा के साथ आता है। धारा 80C के तहत प्रति वित्तीय वर्ष 1.50 लाख रुपये तक के निवेश का दावा किया जा सकता है। हालांकि, यह ध्यान देने की जरूरत है कि 1.50 लाख रुपये एक बड़ी छूट सीमा है और इसमें पीपीएफ, सीपीएफ, लॉन्ग टर्म डिपॉजिट, यूलिप, ईएलएसएस, ट्यूशन फीस, लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम और होम लोन निवेश शामिल हैं।

इक्विटी पर शॉर्ट टर्म कैपटल लाभ

इक्विटी के टैक्स एफिशियंट होने की वजह ये है कि जब शॉर्ट टर्म पूंजीगत लाभ की बात आती है तो उन्हें अधिक प्रोफेशनल ट्रीटमेंट मिलता है। शॉर्ट टर्म पूंजीगत लाभ वो होते हैं, जो कि इक्विटी एक वर्ष से कम समय के लिए रखी जाती है। दूसरे मामलों में परिसंपत्तियों के लिए यह 2 से 3 वर्ष तक अलग-अलग होता है। वहीं, इक्विटी पर शॉर्ट टर्म पूंजीगत लाभ की टैक्स दर भी कम है।

वहीं, अन्य परिसंपत्तियों पर एसटीसीजी करदाता पर लागू अधिकतम दर पर लगाया जाता है, इक्विटी पर एसटीसीजी 15 फीसदी की दर से देना होता है। लॉन्ग टर्म पूंजीगत लाभ (LTCG) के मामले में 2 या 3 साल होती है। इसमें 2018 के बाद के निवेश पर एक साल से अधिक समय तक होल्ड की गई एलटीसीजी पर 10 फीसदी की दर से टैक्स लगता है।

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