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Income Tax News: क्या करदाता 31 जुलाई के बाद ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत दाखिल कर सकते है अपना आईटीआर? जानें क्या है नियम

Income Tax News: आईटीर दाखिल करने की अंतिम तारीख में अब 1 महीनें से भी कम का समय बच गया है। कई करदाताओं ने तो आईटीआर दाखिल भी कर दिया है।

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Income Tax News: आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तारीख में अब 1 महीनें से भी कम का समय बच गया है। कई करदाताओं ने तो आईटीआर दाखिल भी कर दिया है। गौरतलब है कि आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई 2024 है। टैक्स एक्सपर्ट्स का मानना ​​है कि आईटीआर जल्द से जल्द फाइल कर देना चाहिए, इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि अगर आपका रिफंड बकाया है तो उसे जल्द से जल्द प्रोसेस करके आपको दे दिया जाएगा।

मालूम हो कि करदाता न्यू टैक्स रिजीम या ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत अपना आईटीआर दाखिल करते है। लेकिन कई टैक्सपेयर के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या वह 31 जुलाई के बाद ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत टैक्स भर सकते है या नहीं। चलिए आपको बताते इससे जुड़ी जानकारी।

31 जुलाई के बाद चुन सकते है ओल्ड टैक्स रिजीम

मालूम हो कि आईटीआर दाखिल करने के अंतिम तारीख 31 जुलाई 2024 है। साल 2020 में न्यू टैक्स रिजीम की व्यव्स्था शुरू की गई थी। इसके बाद से करदाताओं के पास आईटीआर दाखिल करने के दो विकल्प होते है पहला न्यू टैक्स रिजीम और दूसरा ओल्ड टैक्स रिजीम। हालांकि करदाताओं को 31 जुलाई के बाद ओल्ड टैक्स रिजीम चुनने का विकल्प नहीं मिलेगा, यानि न्यू टैक्स रिजीम डिफॉल्ट के रूप में लागू हो जाएगा। 31 जुलाई के बाद करदाता आईटीआर दाखिल करते है तो अपने आप न्यू टैक्स रिजीम सलेक्ट हो जाएगा। गौरतलब है कि ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत करदाता को कई छूट मिलती है। जिसमें धारा 80 सी, स्टैंडर्ड डिडक्शन, एचआरए आदि शामिल है।

समय पर आईटीआर भरने के लाभ

कई विशेषज्ञों का मानना है कि अगर करदाता समय से आईटीआर दाखिल करते देते है तो उन्हें कई प्रकार के टैक्स छूट का लाभ मिलता है। इसके अलावा जो करदाता रिफंड के हकदार हैं, उन्हें जल्द से जल्द अपना आईटीआर दाखिल करना चाहिए। आजकल आईटीआर जल्दी प्रोसेस हो जाता है और रिफंड भी जल्दी मिल जाता है। इसके अलावा अगर आईटीआर भरने के बाद टैक्सपेयर की तरफ से कोई गलती भी हो जाती है तो भी उनके पास उन्हें सही करने का पूरा मौका होता है। वहीं अगर कोई करदाता 31 जुलाई के बाद आईटीआर दाखिल करते है तो आयकर विभाग की तरफ से उनपर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। यानि कि करदाता को भारी जुर्माना देना पड़ सकता है।

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