Income Tax News: आप एक घर से जो पैसा कमाते है। चाहे वह किराए के माध्यम से हो या उसके हस्तांतरण के माध्यम से, वह गृह संपत्ति की आय के तौर पर माना जाता है। इसमे घर, भवन, गोदाम या कार्यालय जैसी किसी भी संपत्ति को आयकर अधिनियम के अनुसार गृह संपत्ति माना जाता है। इमारतों या भूमि सहित किसी भी संपत्ति से होने वाली आय, कर योग्य गृह संपत्ति आय के अंतर्गत आती है। व्यक्ति आईटीआर-1, आईटीआर-2, आईटीआर-3, आईटीआर-4 जैसे विभिन्न टैक्स रिटर्न फार्म का उपयोग करके टैक्स में रिपोर्ट कर सकते है।
हाउस प्रॉपर्टी से आय का मतलब क्या है
आप एक घर से जो पैसा कमाते है, चाहे वह किराए के माध्यम से हो या उसके हस्तांतरण के माध्यम से वह हाउस प्रॉपर्टी की आय के तौर पर माना जाता है। इसमे घर, भवन, गोदाम या कार्यालय जैसी किसी भी संपत्ति को आयकर अधिनियम के अनुसार हाउस प्रॉपर्टी माना जाता है। यह आय उन पांच प्रकारों में से एक है जो वर्ष के दौरान आपकी कुल कमाई के योगदान में गणना करती है।
हाउस प्रॉपर्टी से कैसे होती है आय
गृह संपत्ति से आय के लिए तीन शर्ते पूरी होना चाहिए।
संपत्ति एक इमारत, भूमि या एक अपार्टमेंट होनी चाहिए।
करदाता संपत्ति का मालिक होना चाहिए।
संपत्ति का उपयोग व्यावसायिक कारणों के लिए इस्तेमाल नही होनी चाहिए।
घर की संपत्ति विभिन्न प्रकार की होती है। उसी हिसाब से संपत्ति पर कर लगता है। चलिए आपको बताते घर की संपत्ति कितने प्रकार की होती है।
किराये पर दी गई संपत्ति – यह तब होता है जब आप अपना घर किराए पर देते है। और आपको उनसे किराए की आय के रूप में पैसा मिलता है।
सेल्फ-ऑक्यूपाइड प्रॉपर्टी– किसी घर को सेल्फ- ऑक्यूपाइड तब कहा जाता है जब मकान मालिक या उसके परिवार उस घर में रहते हों। वहीं अगर घर का मालिक काम के सिलसिले में बाहर भी रहता है तो भी उसे सेल्फ- ऑक्यूपाइड प्रॉपर्टी ही कहेंगे।
डीम्ड लेट- आउट प्रॉपर्टी– अगर आपके पास व्यक्तिगत उपयोग के लिए दो से अधिक घर है तो आप दो को सेल्फ-ऑक्यूपाइड के रूप में चुन सकते है। अन्य को किराये पर दी गई संपत्तियों के तौर पर माना जाता है। वहीं जब भी आप आयकर रिटर्न भरते है तो, आपको फार्म में दिए हुए विकल्पों में से सही प्रकार की गृह संपत्ति का चयन करना होगा।
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