Kolkata Indian Coffee House: क्या आपको पता है कि भारत में कॉफी पीने का चलन कहां से आया? वैसे तो भारत में कई ऐसी जगह है जहां हर भारतीयों को एक बार जरूरी जाना चालिए। लेकिन हम आपको एक ऐसी कॉफी शॉप के बारे में बताने जा रहा है जो अपने आप में ही एक इतिहास है। जवाहर लाल नेहरू से लेकर रविंद्र नाथ टैगोर सबने इस दुकान की कॉफी का स्वाद चखा है। जी हां हम बात कर रहे है कोलकाता की मशहू Indian Coffee House के बारे में, चलिए आपको बताते इससे जुड़े कुछ अनसुने किस्से।
कितना पुराना है कोलकाता का इंडियन कॉफी हाउस
बता दें कि इंडियन कॉफी हाउस की शुरूआत 1876 में हुई थी। हालांकि उस वक्त इसका नाम अल्बर्ट हॉल था। बाद में इसका नाम बदलकर Indian Coffee House रख दिया गया था। जानकारी के मुताबिक ब्रिटिश काल में 1846 में हेनरी पैडिंगटन ने कोलकाता को लंदन बनाने के इरादे से कॉफी की शुरुआत की थी। गौरतलब है कि उस वक्त भारत में कॉफी के बारे में कोई जानता तक नहीं था।
जवाहरलाल नेहरू समेत कई लोगों की पसंदीदा जगह में से एक
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस कॉफी हाउस में मशहूर लेखक रविंद्र नाथ टैगोर से लेकर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू Indian Coffee House में कॉफी पीने आते थे। Indian Coffee House में ही रविंद्र नाथ टैगोर ने अपनी कविताएं लिखी, यहां सुभाष चंद्र बोस बैठकर मीटिंग किया करते थे। इसके अलावा सत्यजीत राय ने अपनी कई फिल्मों की कहानियां लिखी। माना जाता है कि भारत छोड़ो आंदोलन का विचार यहीं से आया था।
Indian Coffee House के कुछ अनसुने किस्से
धीरे-धीरे इस कॉफी शॉप लोगों के लिए अड्डा बन गई। यहां पर लोग इक्ट्ठा होकर मीटिंग और डिबेटस किया करते थे। इस कॉफी हाउस को बंगाल का दिमाग भी कहा जाता था। कॉफी हाउस की शुरुआत दो मंजिल किराए पर लेकर की गई थी। ब्रिटिश काल के अल्बर्ट हॉल को कॉफ़ी हाउस के नाम से जाना जाने लगा।