NPS vs UPS: मोदी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को बड़ा तोहफा देते हुए नई पेंशन स्कीम की घोषणा की है। माना जा रहा है कि इससे 23 लाख कर्मचारियों को फायदा मिलेगा। बता दें कि यह 1 अप्रैल 2024 से लागू होगी। योजना पर, एकीकृत पेंशन योजना, जो अगले वित्तीय वर्ष, यानी 2025-26 में लागू होगी। पुरानी पेंशन योजना को हटाने के लिए बहुत आलोचना का सामना करने के बाद, एनडीए सरकार ने एकीकृत पेंशन योजना शुरू की है, जो पिछली पुरानी पेंशन योजना के लाभों और नई पेंशन योजना की विशेषताओं को जोड़ती है। नई स्वीकृत योजना यह सुनिश्चित करती है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को पिछले 12 महीनों में उनके अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा। इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे कि एनपीएस या यूपीएस कौन बेहतर है।
यूपीएस योजना कि विशेषताएं
- एकीकृत पेंशन योजना के तहत, नई पेंशन योजना (एनपीएस) के विपरीत, एक निश्चित सुनिश्चित पेंशन का प्रावधान होगा, जो एक निश्चित पेंशन राशि का वादा नहीं करता है।
- इस योजना के तहत, व्यक्ति सेवानिवृत्ति से पहले पिछले 12 महीनों के दौरान अर्जित अपने औसत मूल वेतन का 50% निकालने के पात्र होंगे। इस लाभ के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए, व्यक्तियों को न्यूनतम 25 वर्ष की सेवा पूरी करनी होगी।
- एकीकृत पेंशन योजना के पांच स्तंभ हैं- सुनिश्चित पेंशन, सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन, सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन, मुद्रास्फीति सूचकांक और ग्रेच्युटी।
UPS या NPS कौन है निवेश के बेहतर विकल्प
- बता दें कि UPS के तहत, 25 साल की सेवा के बाद सरकारी कर्मचारियों को फिक्स पेंशन के साथ-साथ एकमुश्त राशि भी मिलेगी, जो महंगाई दर के हिसाब से बढ़ेगी। NPS में, कई कर्मचारियों को बहुत कम पेंशन राशि ही मिल रही थी।
- NPS में कोई सुनिश्चित पेंशन नहीं थी, जबकि UPS में 25 साल की सेवा के बाद आखिरी सैलरी का कम से कम 50% पेंशन सुनिश्चित की गई है। 10 साल की सेवा के बाद UPS में न्यूनतम 10000 रुपये की पेंशन की गारंटी होगी, जो NPS में नहीं है।
- NPS में पेंशन पूरी तरह से बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर थी। UPS में बाजार पर निर्भरता को काफी हद तक कम कर दिया गया है, जिससे कर्मचारियों को अधिक स्थिरता मिलती है।
हालांकि निवेशकों पर निर्भर करता है कि वह किन पेंशन सिस्टम में निवेश करना चाहते है। माना जा रहा है कि नए पेंशन स्कीम के तहत लाखों कर्मचारियों को लाभ मिलेगा।