Post Office RD Scheme vs Bank RD: आजकल मार्केट में निवेश के बहुत सारे विकल्प मौजूद है। लोग उसकी स्कीम में निवेश करते है, जहां उनका पैसा सुरक्षित रहें, और उन्हें तगड़ा रिटर्न भी मिल सके। लोगों के पास बैंक या पोस्ट ऑफिस द्वारा प्रदान की जाने वाली रिकरिंग डिपॉजिट में अपना पैसा निवेश करने का विकल्प होता है। हालांकि दोनों के अलग-अलग फायदे है। आज हम इस लेख के माध्यम से बात करेंगे की बैंक आरडी या पोस्ट ऑफिस आरडी कौन है निवेश के लिए बेहतर विकल्प।
बैंक रिकरिंग डिपॉजिट क्या है?
आरडी यानि रिकरिंग डिपॉजिट भारतीय बैंकों द्वारा प्रदान की जाने वाली एक विशेष प्रकार की सावधि जमा है। यह निवेश का एक तरीका है। इस स्कीम के तहत निवेशक हर महीने एक तय रकम बैंक आरडी में निवेश करता है आमतौर पर इसकी अवधि 1 साल से लेकर 5 साल के बीच होती है।
बैंक आरडी के फायदे
●इसकी न्यूनतम और अधिकतम जमा अवधि 1 साल से लेकर 10 साल के बीच होती है।
●आरडी को एक बैंक से दूसरे बैंक में ट्रांसफर करना संभव है।
●जमा राशि के बदले लोन लेना, या जमा राशि को सुरक्षा के रूप में उपयोग करना, आरडी द्वारा पेश किया जाने वाला एक अन्य विकल्प है।
●खाताधारक जमा मूल्य के 80 से 90 प्रतिशत के बीच ऋण के लिए पात्र है।
पोस्ट ऑफिस रिकरिंग डिपॉजिट क्या है?
आपको बता दें कि सरकार द्वारा चलाई जाने वाली यह सवाधि जमा योजना है। इस योजना के तहत कोई भी व्यक्ति न्यूनतम 100 रूपये से निवेश कर सकता है। वहीं अधिकतम की सीमा तय नहीं की गई है। मालूम हो कि इसकी अवधि 5 सालों तक की होती है।
पोस्ट ऑफिस आरडी के फायदे
●छोटे निवेशकों को पोस्ट ऑफिस अकाउंट आरडी से मदद मिलती है।
●पोस्ट ऑफिस आरडी पांच साल का, निश्चित-मासिक निवेश है।
●खाता एक वर्ष के बाद मूल्य का 50% तक आंशिक निकासी की अनुमति देता है।
पोस्ट ऑफिस आरडी या बैंक आरडी कौन है बेहतर?
बैंक आरडी ब्याज दरें नियमित रूप से अपडेट नहीं की जाती हैं, जबकि पोस्ट ऑफिस आरडी हर तिमाही पर समीक्षा की जाती है।
बैंक आरडी एक वर्ष से लेकर दस वर्ष तक के विभिन्न कार्यकाल विकल्प प्रदान करते हैं। वहीं पोस्ट ऑफिस आरडी पांच साल तक की होती है।
बैंकों में, आरडी को अनिश्चित काल के लिए नवीनीकृत किया जा सकता है, लेकिन पोस्ट ऑफिस की, अवधि पांच वर्ष होनी चाहिए।