Property On Moon: भारत ने जब से चंद्रयान-3 का सफलतापूर्वक लॉन्चिंग की है, तब से एक बात की चर्चा लोगों के बीच बहुत ज्यादा हो रही है। लोग जानना चाहते है, कि अगर भारत (23 अगस्त 2023) को मून पर सफलतापूर्वक चंद्रयान-3 जरिए लैंडिंग कर लेता है, तो इसके क्या मायने है? क्या भविष्य में हम लोग वहां रह सकते है या फिर वहां की जमीन खरीद सकते हैं? और अगर खरीद सकते है तो उसकी रजिस्ट्री कैसे होगी? इन बातों को लेकर सोशल मीडिया और आसपास के लोगों में खूब चर्चा की जा रही है। लोग पृथ्वी के अलावा अब नए आशियाना ढूढ़ने लगे है। ऐसे में भला जमीन की खरीद-फरोख करने वाले लोग कहां पीछे रहने वाले है। उनका दावा है, कि हम मून की जमीन को आपके नाम की रजिस्ट्री कर देंगे।
क्या सचमुच चांद पर जमीन की रजिस्ट्री हो रही है?
मीडिया रिपोर्ट्स और सूत्रों की मानें तो इसका जवाब है- (हां) बताया जा रहा है, (LunarRegistry.com) नाम की वेबसाइट मून पर रजिस्ट्री का अधिकार रखने का दावा करती है। लेकिन जब आप इसके वेबसाइट के FAQs सेक्शन में जाकर देखेंगे तो मालूम चलेगा कि वहां साफ साफ लिखा है कि वो चांद पर जमीन की मालिक नहीं है। इस मामले पर कंपनी का कहना है कि उनका काम सिर्फ रजिस्ट्री करवाना है, ना कि जमीन बेचना। ऐसे में देखा जाए तो यह बात लोगों समझ नहीं आ रही है। दरअसल जब आप कंपनी के कहने पर रजिस्ट्री करवा लेंगे तब उसके मालिकाना हक़ को लेकर कोई भी इंटेरनेशनल कोर्ट में चुनौती दे सकता है। ऐसे में तब कंपनी यह कहकर पल्ला झाड़ सकती है कि हमारा काम तो सिर्फ रजिस्ट्री करना है, ना कि जमीन बेचना।
चांद की जमीन को लेकर क्या कहता है इंटरनेशनल- लॉ
बता दें कि चांद की जमीन को लेकर Outer Space Treaty 1967 के अनुसार, “अंतरिक्ष से लेकर चांद या फिर बाकी ग्रहों पर किसी भी एक देश या व्यक्ति का अधिकार नहीं हो सकता। अगर कोई भी संस्था या व्यक्ति इस बात को लेकर दावा करता है तो वह गलत है। चांद पर किसी एक का हक़ कभी नहीं हो सकता। अब आप सोच रहे होंगे कि अंतरिक्ष या फिर चांद पर अमेरिका का झंडा लगा हुआ है, तो बता दें “Outer Space Treaty” के अनुसार, चांद पर भले ही किसी देश ने झंडा लगा दिया हो, फिर संधि के मुताबिक चांद का मालिक कोई नहीं बन सकता।
बता दें कि ‘Outer Space Treaty’ की सूची में साल 2019 तक कुल 109 देश जुड़ चुके हैं। ऐसे में सभी देशों के सूची पर हस्ताक्षर करवाए गए हैं। जिसमे लिखा है,”चांद पर कोई भी देश विज्ञान से जुड़ा अपना रिसर्च काम कर सकता है और उसका इस्तेमाल इंसान के विकास में कर सकता है, लेकिन उस पर कब्जा नहीं कर सकता।”
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