RBI Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से रेपो दर को लेकर खास ऐलान किया गया है। मौद्रिक नीति समिति (MPC) की खास बैठक में आरबीआई गवर्नर ने इसकी समीक्षा की और लगातार पांचवीं बार रेपो दर को अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत रेपो दर एक बार फिर 6.5 प्रतिशत पर स्थिर है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस देश की अर्थव्यवस्था को लेकर भी बड़ा दावा किया और कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था प्रणाली मजबूत स्थिति में है। इसके साथ ही वित्तिय वर्ष 2023-34 में आर्थिक वृद्धि दर के 7 फीसदी तक पहुंचने के अनुमान हैं। ऐसे में आरबीआई के इसल फैसले से देश की आम जनता को राहत जरुर मिलेगी।
अपरिवर्तित रहा रेपो दर
भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से एक बार फिर रेपो दर को अपरिवर्तित रखा गया है। इसके तहत रेपो दर पिछले कुछ महीनों के तर्ज पर 6.5 फीसदी है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति के रिपोर्ट की समीक्षा की और इस निष्कर्ष पर पहुंचे। आरबीआई की ओर से स्पष्ट किया गया है कि तमाम वैश्विक चुनौतियों के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था मजबूत है। वहीं 2023-24 वित्तिय वर्ष में जीडीपी के 7 फीसदी तक रहने के अनुमान भी जताए गए हैं। इन सभी फैक्टर्स को देखते हुए रेपो दर को अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया गया है।
जनता को मिलेगी राहत
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के इस फैसले से देश की आम जनता को राहत मिलेगी। रेपो दर में बदलाव नहीं होने से मकान के साथ वाहन, गोल्ड या अन्य व्यक्तिगत लोन की मासिक किस्त स्थिर रहेगी। यदि आरबीआई इस दर में बदलाव करता तो इससे सभी बैंक प्रभावित होते और ग्राहकों के मासिक किस्त पर इसका असर देखने को मिलता है।
क्या है Repo Rate?
रेपो रेट लोन की वो दर है जिस पर आरबीआई देश के अन्य बैंक को कर्ज देता है। यदि रेपो रेट की दर कम रहती है तो अन्य बैंक के ग्राहक भी कम ब्याज दर पर लोन हासिल कर लेते हैं। वहीं अगर रेपो रेट में इजाफा होता है तो इसका असर सभी बैंक पर होता है और बैंक ग्राहकों को ज्यादा ब्याज पर ऋण देने का काम करते हैं। इसके अलावा रेपो रेट में वृद्धि होने पर वाहन से लेकर मकान व अन्य लोन की मासिक किस्त भी प्रभावित होती है।
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