Rice Hike News: एक तरफ हिंदुस्तान बढ़ते सब्जी के मूल्यों को लेकर परेशान है, तो वहीं दूसरी तरफ ऐसी खबर आ रही है, कि चावल के बढ़ते मूल्यों और स्टॉक को लेकर साल 2023 में सारे रिकॉर्ड टूटने वाले हैं। वहीं विश्लेषकों (जानकारों) की मानें तो इस बार चावल के उत्पादन में भी भारी कमी देखने को मिल सकती है। एक अनुमान के मुताबिक वर्ष (2022–2023) में चावल ग्लोबल लेवल पर 8.7 मिलियन टन की कमी देखी जा सकती है। ऐसे में अब बड़ा सवाल यह है, कि क्या भारत में टमाटर की तरह ही चावल भी महंगे होने वाले हैं। ऐसा नहीं है, कि भारत में इस समय चावल के दाम कम है, लेकिन ग्लोबल लेवल पर चावल की भारी कमी को देखते हुए, ऐसा लगता है, की देश की जनता का जेब और भी ढ़ीली होने वाली है।
चावल की कमी के कारण भारत में क्या असर पड़ेगा?
बता दें कि हिंदुस्तान दुनिया में चावल उत्पादन के मामले में दूसरे पायदान पर है। वहीं पड़ोसी मुल्क चीन उत्पादन के मामले में पहले स्थान पर है। देखा जाए तो आंकड़े के मुताबिक भारत चावल निर्यात में अग्रणी देश है, क्योंकि हिंदुस्तान चावल के व्यापार में अकेले 40% (प्रतिशत) से अधिक हिस्सेदारी रखता है। फिर भी देश में चावल के बढ़ते मूल्यों ने जनता के पसीने छुड़ा रखे हैं। ऐसे में अब चावल को लेकर बड़ी खबर आ रही है, कि केंद्र सरकार ने चावल के बढ़ते दामों से निजात दिलाने के लिए 20 जुलाई 2023 से गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
तो ये है चावल के बढ़ते मूल्यों का कारण
खबरों की मानें तो वैश्विक स्तर पर साल 2022–2023 में चावल के उत्पादन में भारी कमी देखी गई है। इसके पीछे का कारण किसानों की मानें तो बेमौसम बारिश और कम रोपड़ है। वहीं भारत में देखा जाए तो 14 जुलाई तक इस बार धान (खरीफ फसल) की बुवाई में 2 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। वहीं दूसरी तरफ रूसिया–यूक्रेन वॉर के कारण भी इसका सीधा असर देखा जा रहा है।
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