SIP: आजकल मार्केट में निवेश के कई सारे विकल्प मौजूद है। लोग अपने सहूलियत के हिसाब से निवेश करते है। आजकल सबसे चर्चित निवेश है म्यूचुअल फंड की एसआईपी। अगर आप भी लंबे समय के लिए निवेश की सोच रही है तो यह खबर आपके काम की हो सकती है। एसआईपी मैं आपको अधिकतम 15 परसेंट तक का रिटर्न मिलता है। चलिए आपको बताते है 7 ऐसे टिप्स के बारे जिसकी मदद से आप एसआईपी पर तगड़ा रिटर्न पा सकते है।
लंबी अवधि के लिए करें निवेश
अगर आप एसआईपी से अच्छा रिटर्न पाना चाहते है तो आप 15 20 या 25 सालो के लिए निवेश कर सकते हैं जितनी लंबी अवधि के लिए आप निवेश करते हैं उतना अच्छा रिटर्न आपको मिलेगा। आप लंबी अवधि के लिए निवेश करके करोड़ों रुपये भी पा सकते हैं।
निवेश को लेकर हमेशा अनुशासित रहे
अगर आप एसआईपी मैं एक बार निवेश करना शुरू कर देते है तो आपको इसमें हर महीने निवेश करना होगा। हालांकि इसमें राशि निकालने की कोई तय सीमा नहीं होती है। आप जब चाहे इसमे निवेश कर सकते हैं और निकासी कर सकते हैं लेकिन इसमें आपको तगाड़ा रिटर्न नहीं मिलेगा।
एसआईपी मैं बड़ी रकम से शुरुआत न करें
अगर आप लंबे समय के लिए निवेश करते है तो आपको बड़ी रकम से शुरुआत नही करनी चाहिए। इसका कारण यह है कि कई बार कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण लोग बड़ी रकम की एसआईपी लगातार जारी नहीं रख पाते हैं। ऐसे में SIP बीच में ही बंद हो जाती है, जिससे आप इससे अच्छा मुनाफा नहीं कमा पाते हैं।
थोड़ी थोड़ी मात्रा मैं निवेश की रकम बढ़ाते रहे
अगर आप एसआईपी में निवेश करना शुरू कर रहे है तो आप साल दर साल निवेश की मात्रा बढ़ा सकता है, इसमें सबसे बड़ा फायदा है यह है कि समय के साथ आपका पैसे का रिटर्न भी बढ़ेगा।
निवेश से पहले एक्सपर्ट की राय जरूर ले
अगर आपने एसआईपी में निवेश करने का मन बना लिया है तो निवेश से पहले आप एक्सपर्ट से जरूर सलाह ले क्योंकि म्यूचुअल फंड की हमेशा स्तिथि एक बराबर नहीं रहता है। मार्केट में उतार चढ़ाव आते रहते हैं एक्सपर्ट आपको बता सकता है निवेश का सही समय।
जोखिम उठाने की क्षमता को परखे
निवेश करने से पहले अपने जोखिम उठाने की संभावना को ध्यान में रखें कई एसआईपी से ज्यादा रिटर्न मेल कर सकता है।लेकिन उसमें जोखिम भी अधिक होता है।
वही कम जोखिम वाले प्लान में रिटर्न भी कम होता है।
निवेश करने से पहले अच्छे से जांच कर ले
एसआईपी में पैसा निवेश करने के लिए योजना के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर लें ताकि निवेशक को पता लग सके कि निवेश में कितना नुकसान है।