Sovereign Gold Bond Scheme: देश के शेयर बाजार में तेजी से निवेशकों को जबरदस्त मुनाफा हुआ है। बीते सोमवार को सेंसेक्स ने पहली बार 70 हजार के स्तर को पार किया। वहीं, निफ्टी ने भी 21 हजार का लेवल पार किया। ऐसे में अगर आप शेयर बाजार में निवेश करने से डरते हैं तो आप गोल्ड में निवेश कर सकते हैं।
पिछले कुछ समय में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम (Sovereign Gold Bond Scheme) निवेशकों के बीच काफी तेजी से मशहूर हुआ है। इसके पीछे की वजह साफ है कि निवेशकों को सुरक्षा की गारंटी के साथ रिटर्न की भी कोई टेंशन नहीं रहती है। दरअसल इस स्कीम को भारत सरकार का समर्थन है और इस स्कीम को भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई (RBI) जारी करता है।
Sovereign Gold Bond Scheme है फायदे का सौदा
वहीं, अगर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश करने पर आप टैक्स भी बचा सकते हैं। हालांकि, इस स्कीम से होने वाली इनकम पूरी तरह से टैक्स फ्री नहीं है। मगर एक कंडीशन में आप इसमें टैक्स की बचत कर सकते हैं। वैसे आपको बता दें कि इस स्कीम ने बैंकों की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) से अच्छा रिटर्न दिया है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में गोल्ड की बढ़ती कीमतों का लाभ मिलता है। साथ ही निवेश की गई रकम पर सालाना आधार पर 2.5 फीसदी का ब्याज भी मिलता है। इस तरह से ये स्कीम निवेशकों को डबल फायदा प्रदान करती है।
Sovereign Gold Bond Scheme में ब्याज
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में गोल्ड के चोरी होने या खोने की भी कोई चिंता नहीं है। इसमें गोल्ड उसी तरह से सुरक्षित रहता है, जैसे डीमैट अकाउंट में शेयर सुरक्षित रहते हैं। साथ ही इसमें किसी तरह का कोई मेंटेनेंस शुल्क भी नहीं देना होता है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश करने पर 2.5 फीसदी का ब्याज मिलता है। वह ब्याज टैक्स के दायरे में आता है और इससे होने वाली कमाई को करदाता की मूल आय में जोड़ा जाता है।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम पर देना होगा टैक्स
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में जब निवेशक अपनी रकम को रिडीम करता है तो उसे बॉन्ड स्कीम बेचने पर टैक्स देना होता है। अगर आपने एक साल से कम समय तक इस स्कीम को अपने पास रखा है तो शॉर्ट शर्म गेन टैक्स देना होगा। वहीं, अगर एक साल से ज्यादा समय तक आपने इस स्कीम को होल्ड किया है तो आपको लॉन्ग टर्म गेन टैक्स देना होगा।
ऐसे बचा सकते हैं टैक्स
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में एक कंडीशन पर आपको टैक्स नहीं देना होगा। इस स्कीम का मैच्योरिटी पीरियड 8 साल का है। इनकम टैक्स के 1961 के धारा 43 के तहत अगर आप 8 साल तक इस स्कीम को होल्ड करके रखते हैं और 8 साल बाद स्कीम को रिडीम करते हैं तो मैच्योर हुई रकम पर कोई टैक्स नहीं देना होगा।
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