State Bank Of India: अमेरिका में एक के बाद एक बैंकों के डूबने से वैश्विक स्तर पर बैकिंग संकट मंडराने लगा है। ऐसे में भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के संबंध में एक बड़ी जानकारी सामने आई है। इस जानकारी ने सबको हैरान कर दिया है।
CAG की रिपोर्ट चौंकाने वाली
संसद में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय सेवा विभाग (DFS) ने सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों में पूंजी डालने की पहल के चलते साल 2017-18 में एसबीआई को 8800 करोड़ रुपये दिए थे। हालांकि, बैंक की तरफ से साल 2018 में इसकी मांग नहीं की गई थी, मतलब एसबीआई को बिना मांगे ही 8800 करोड़ रुपये दे दिए गए। आगे बताया गया है कि एसबीआई को इतनी बड़ी पूंजी बैंक की कर्ज वृद्धि बढ़ाने के मकसद से दी गई थी।
SBI को बिना मांगे मिले पैसे
सरकार के विभाग DFS की तरफ से वित्त वर्ष 2017-18 में क्रेड़िट ग्रोथ में बढ़ोतरी के लिए डाली गई थी। कैग ने 2021 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के लिए अपनी अनुपालन रिपोर्ट में कहा है कि इसमें मानकों के हिसाब से पूंजी जरूरत का आकलन नहीं किया गया। साथ ही कैग की 2023 की अनुपालन लेखा परीक्षा रिपोर्ट 1 का भी पालन नहीं किया गया है।
CAG ने ये बताया
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, विभाग ने पूंजी डालते समय RBI के निर्धारित मानदंडों का भी पालन नहीं किया, बल्कि उससे भी आगे जाकर पूंजी डाली। आरबीआई ने पहले से ही बैंकों पर 1 प्रतिशत बढ़ी हुई पूंजी आवश्यकता को निर्धारित किया हुआ है। ऐसे में एसबीआई को 7,785.81 करोड़ रुपये का अतिरिक्त फंड जारी किया गया।
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