Tuesday, November 5, 2024
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Union Budget Session 2023: वित्त मंत्री ने संसद में पेश की Economy Survey 2022-23 की रिपोर्ट, जानें इसकी खास-खास बातें

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Union Budget Session 2023: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज यानी मंगलवार को राष्ट्रपति अभिभाषण के बाद वित्त वर्ष 2022-23 का आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट (Economy Survey Report) लोकसभा में पेश किया, जिसे राज्यसभा के पटल पर भी रखा गया। बुधवार यानी एक फरवरी को वित्त मंत्री पूर्वाह्न 11.00 बजे लोकसभा में केंद्रीय बजट 2023-24 पेश करेंगी। तो आइए जानते हैं कि इस आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट की मुख्य बातें क्या-क्या है।

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आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट की मुख्य बातें

  • आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए GDP Growth Rate 6.5% का अनुमान जताया गया है। यह बीते 3 साल में सबसे धीमी ग्रोथ रेट होगी। रिपोर्ट में नॉमिनल जीडीपी का अनुमान 11% लगाया गया है। वित्तीय वर्ष 2023 के लिए GDP अनुमान 7% है।
  • ताजा आर्थिक सर्वे में इस बात का उल्लेख किया गया है कि भारत दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। इस वक्त पर्चेजिंग पावर पैरिटी (PPP) के मामले में भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और एक्सचेंज रेट के मामले में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था।
  • सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने कोविड काल में जो कुछ खोया, वह लगभग पा लिया है। जो थम सा गया था वह भी बहाल हो गया है। जिसकी गति मंद पड़ी थी उसने अपनी गति दोबारा से हासिल कर ली है। कोविड महामारी के बाद देश का पुनरुद्धार काफी तेज गति से हो रहा है। वृद्धि को घरेलू मांग से समर्थन और पूंजीगत निवेश भी तेज हुआ।
  • सर्वे में उधार लेने की लागत लंबी अवधि के लिए अधिक रहने का अनुमान है। बढ़ती महंगाई बढ़ रही ब्याज दर के चक्र को और लंबा कर सकती है। वैश्विक वृद्धि दर की चाल सुस्त है। वैश्विक व्यापार में कमी से चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में निर्यात को काफी नुकसान हुआ है।
  • आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक जिंस कीमतें उच्च स्तर पर बनी रहने से चालू खाते का घाटा बढ़ सकता है। भारतीय मुद्रा रुपया पर भी दबाव बढ़ सकता है। दुनिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत ने असाधारण चुनौतियों का काफी बेहतर तरीके से सामना किया है।

बजट से एक दिन पहले आर्थिक सर्वे क्यों?

दरअसल, आर्थिक सर्वेक्षण देश की मौजूदा आर्थिक हालात की जानकारी देने और नीतिगत मसलों को सुझाने के लिए हर साल केंद्रीय बजट से एक दिन पहले संसद के पटल पर रखा जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण को आसान शब्दों में परिभाषित करें तो यह देश की आर्थिक सेहत का पूरा लेखा-जोखा होता है। सरकार इस सर्वे रिपोर्ट के जरिए बताती है कि देश की अर्थव्यवस्था किस हाल में है। केंद्र सरकार की योजनाएं कितनी तेजी से आगे बढ़ रही हैं और पूरे साल विकास का क्या ट्रेंड रहा है, किस क्षेत्र में कितना निवेश हुआ है।

इस रिपोर्ट में आगामी वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का अनुमान होता है। इस सर्वे रिपोर्ट को देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) की टीम तैयार करती है। टीम में सीईए के साथ वित्त और आर्थिक मामलों के एक्सपर्ट्स भी होते हैं। पहली बार आर्थिक सर्वे रिपोर्ट वित्तीय वर्ष 1950-51 में पेश किया गया था। इसके बाद 1964 से वित्त मंत्रालय बजट से एक दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण को जारी करता आ रहा है।

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