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Vedanta Share: वेदांता का इतनी बड़ी रिस्ट्रक्चरिंग के बाद क्या होगा? कंपनी के स्टॉक को लेकर छा रही कुछ मायूसी

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Vedanta Share: वेदांता लिमिटेड एक जाने-माने कंपनी है। लेकिन हाल के कुछ दिनों में वेदांता की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। पैरंट कंपनी पर बढ़ता बोझ वेदांत के ऊपर भी दबाव डाल रहा है। स्थिति यह बन गई है कि बाजार के कई दिग्गज मान रहे हैं कि अगर वेदांता रिसोर्सेज ने कोई बड़ा कदम नहीं उठाया तो अगले साल कंपनी देनदारी नहीं चुका पाएगी।

स्टॉक को लेकर घटा एक्सपर्ट का भरोसा

इसके साथ ही कंपनी के स्टॉक को लेकर भी एक्सपर्ट का भरोसा पहले से कम हो गया है। कोटक इंस्टीट्यूशनल की रिपोर्ट में वेदांत के स्टॉक को भेजने की सलाह दी गई है। वहीं CLSA स्टोक को लेकर अपना लक्ष्य पहले से घटा दिया है। हालांकि कंपनी की रेटिंग को अपग्रेड किया गया है। बता दें कि कोटक की रिपोर्ट कंपनी की हाल में आई खबरों से पहले की है। वहीं CLSA की रिपोर्ट 30 सितंबर की है।

बता दें कि कोटक की रिपोर्ट में स्टॉक को बेचने की सलाह देते हुए इसकी फेयर वैल्यू 200 तक मेजर की गई है। स्टॉक फिलहाल 222 के स्तर पर है यानी कि स्टॉक में यहां से करीब 10% की गिरावट का अनुमान लगाया गया है।

खास बात यह है कि बीते सत्र में ही स्टॉक में करीब 7% बढ़त देखने को मिली थी। जब हिंदुस्तान जिंक ने रिस्ट्रक्चरिंग से जुड़ा ऐलान किया था। जानकारी के लिए बता दें कि हिंदुस्तान जिंक में वेदांता लिमिटेड की 64% हिस्सेदारी है।

क्या है कंपनी के सामने चुनौतियां


कोटक की रिपोर्ट मे कहा गया है कि वेदांता रिसोर्सेज कर्ज में डूब गई है और वित्त वर्ष 2025 में 3 अरब डॉलर का फंडिंग गैप चिंता का विषय है। रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी मौजूदा वित्त वर्ष के लिए फंडिंग गैप का इंतजाम कर चुकी है। आगे कहा गया कि ग्रुप की कंपनियों से बड़े डिविडेंड की उम्मीद न रहने से फंड जुटाने के लिए कंपनी को दूसरे कदम उठाने पड़ सकते हैं। जिसमें स्टेक सेल या एसेट सेल शामिल हो सकती है। कमजोर कमोडिटी साइकिल और प्रोजेक्ट में देरी से आय में गिरावट की आशंकाएं बनी हुई हैं।

क्या है सीएलएस की रिपोर्ट में खास


सीएलएसए की रिपोर्ट में कहा गया कि वेदांता ने अपने कारोबार को 6 कंपनियों में बांटने का फैसला किया है। इससे छोटी अवधि मे कारोबार पर कोई असर देखने को नहीं मिलेगा हालाकि इस कदम से आगे अलग अलग कंपनियों में निवेश लाने में मदद मिलेगा और इससे कर्ज बोझ कम होने में मदद मिलेगी। हालांकि रीरेटिंग के लिए कंपनी को कारोबार में सुधार पर फोकस करना होगा।

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