VPF vs PPF: आजकल भारत में अधिक से अधिक लोगों ने कम उम्र से ही अपनी सेवानिवृत्ति के बारे में योजना बनाना शुरू कर दिया है, और स्वैच्छिक भविष्य निधि (वीपीएफ) और सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) दोनों लोकप्रिय विकल्प हैं। इस लेख में हम दोनों विकल्पों के बारे में बात करेंगे कि निवेश के लिए किसे चुनना चाहिए।
वीपीएफ क्या है?
वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड यानि (वीपीएफ) के लिए जाने वाला व्यक्ति स्वेच्छा से अपने वेतन का कोई भी हिस्सा भविष्य निधि में योगदान कर सकता है। योगदान मूल वेतन और महंगाई भत्ते के 12% से अधिक होना चाहिए, जिसे सरकार द्वारा अनिवार्य किया गया है। वीपीएफ भारत में काम करने वाले किसी भी कर्मचारी के लिए खुला है और यह प्रति वर्ष 8.15% का रिटर्न देता है।
पीपीएफ क्या है?
पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानि पीपीएफ यह सरकार द्वारा दी जाने वाली एक लोकप्रिय बचत योजना है। यह योजना सभी क्षेत्रों (अनौपचारिक नौकरियों सहित) में काम करने वाले व्यक्तियों को छोटी मात्रा में बचत और निवेश करने में मदद करने के लिए है। इस स्कीम में एक साल तक अधिकतम 1.5 लाख रूपये तक ही जमा कर सकते है। वहीं इसकी अवधि 15 सालों तक के लिए होती है। मालूम हो कि सरकार की तरफ से अभी 7.1 प्रतिशत का ब्याज दिया जा रहा है।
पीपीएफ और वीपीएफ में कितना निवेश कर सकते हैं?
आप सिर्फ 100 रुपये से पीपीएफ खाता खोल सकते हैं। ध्यान रखें कि आपको एक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम 500 रुपये जमा करना होगा। आप एक वित्तीय वर्ष में पीपीएफ में अधिकतम 150000 रुपये निवेश कर सकते हैं। वीपीएफ के लिए कोई न्यूनतम राशि या न्यूनतम वार्षिक निवेश नहीं है। आप ईपीएफ और वीपीएफ को मिलाकर अपने मूल वेतन का 100% तक योगदान कर सकते हैं।
पीएफ या वीपीएफ कौन है बेहतर विकल्प?
टैक्स विशेषज्ञों के अनुसार, वीपीएफ और पीपीएफ के बीच आपकी पसंद पात्रता, व्यक्तिगत प्राथमिकताओं और दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों जैसे कारकों पर निर्भर करेगी। अगर आप रिटायरमेंट के लिए बचत कर रहे हैं तो वीपीएफ एक बेहतर विकल्प हो सकता है क्योंकि फिलहाल वीपीएफ पर ब्याज दर 8.15% और पीपीएफ पर 7.1% है। यानी वीपीएफ पर पीपीएफ से 1 फीसदी ज्यादा ब्याज मिल रहा है। सेवानिवृत्ति के लिए निवेश का एक बढ़िया विकल्प हो सकता है।