Friday, November 22, 2024
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क्या आगामी Budget 2024 में होम लोन की ब्याज दरों में होगा बदलाव? जानें क्या है निर्मला सीतारमण से रियल एस्टेट सेक्टर की उम्मीदें

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Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 23 जुलाई 2024 को आम बजट पेश किया जाएगा। मालूम हो कि मोदी 3.0 का यह पहला बजट होगा। गौरतलब है कि Budget 2024 से आम आदमी को खासी उम्मीदें है। इस बजट में कारोबारियों, आम आदमी के साथ-साथ रियल एस्टेट सेक्टर की भी नजर रहेगी। रियल एस्टेट सेक्टर को बजट से काफी उम्मीदें हैं। इसके अलावा लोगों को उम्मीद है कि सरकार द्वारा होम लोन के ब्याज दर में कमी हो सकती है। चलिए आपको इस लेख के माध्यम से बताते है कि निर्मला सीतारमण से रियल स्टेट सेक्टर कि क्या उम्मीदें है।

होम लोन के ब्याज पर टैक्स में छूट

आम लोगों को अपना घर खरीदना एक सपना होता है। एक साथ मोटी रकम न होने के कारण कई लोगों का घर खरीदने का सपना, सपना ही रह जाता है। हालांकि बैंकों द्वारा अब अपने ग्राहकों को होम लोन की भी सुविधा मुहैया कराया जाता है, लेकिन ज्यादा ब्याज दरें होने के कारण ग्राहकों को मोटी रकम चुकानी पड़ती है।

इसी को देखते हुए कई विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार बजट मे आयकर अधिनियम की धारा 24 के तहत होम लोन के ब्याज पर टैक्स में छूट को 2 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया जाना चाहिए ताकि लोग काअपना घर खरीदने का सपना पूरा कर सके।

रियल एस्टेट सेक्टर को इंडस्ट्रीज का दर्जा मिले

कई विशेषज्ञों का मानना है कि रियल एस्टेटे सेक्टर को इंडस्ट्रीज का दर्जा मिलना चाहिए। कई सालों से रियल एस्टेट सेक्टर देश की आर्थिक वृद्धि को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आवास, कार्यालय स्थानों और कमर्शियल सेक्टर की बढ़ती मांग के बीच, उद्योग जगत को केंद्रीय बजट 2024-25 से पहले महत्वपूर्ण बदलाव की उम्मीद है।

गौरतलब है कि बीते कुछ सालों में रियल एस्टेट सेक्टर में काफी ग्रोथ देखी गई है। आवास, कार्यालय स्थानों और कमर्शियल सेक्टर की बढ़ती मांगों को लेकर उम्मीद की जा रही है कि इस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए सरकार कुछ बड़ा ऐलान कर सकती है।

क्या है विशेषज्ञों का राय

कई विशेषज्ञों का मानना है कि वित्त मंत्रालय को वित्त वर्ष 2024-2025 के आगामी केंद्रीय बजट में किफायती और मध्यम आय आवास (एसडब्ल्यूएएमआईएच) फंड के लिए विशेष विंडो की दूसरी किश्त के लिए 50000 करोड़ रुपये आवंटित करना चाहिए। स्थानीय प्राधिकरण को दिए जाने वाले नगरपालिका शुल्क जीएसटी के दायरे से बाहर होने चाहिए।

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