Bilkis Bano Case: 27 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो के मामले में सुनवाई की। इस सुनवाई में बिलकिस बानो मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए गए 11 दोषियों को समय से पहले रिहाई देने पर सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक नोटिस भेजा है जिसमें बिलकिस बानो केस में दोषियों को रिहाई के दस्तावेज लाने को कहा गया।
केंद्र सरकार को भेजा नोटिस
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की डिवीजन बेंच ने बिलकिस बानो केस में बड़ा दखल दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस अपराध को “भयावह” बताया। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को दोषियों की रिहाई की अनुमति से जुड़ी फाइल तैयार करने को कहा है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, यह तय करेगा कि सजा में छूट पर फैसला लेने के लिए “उपयुक्त प्राधिकारी” कौन हैं. अदालत तय करेगी कि यह गुजरात है या महाराष्ट्र।’ 18 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अपनी अगली सुनवाई करेगा।
Also Read: दिल्ली में मुफ्त बिजली देने को लेकर CM Arvind Kejriwal का बड़ा दावा, BJP पर लगाया ये गंभीर आरोप
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल 28 फरवरी 2002 को साबरमती ट्रेन के S6 कोच में आग लगने और 59 कारसेवकों की मौत के बाद गुजरात में भड़के दंगों में करीबन 15 साल लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इसी कड़ी में गुजरात में भड़के दंगों में 12 साल से भी अधिक लोग मारे गए थे इस दौरान 1 किसानों के परिवार के 7 सदस्यों की हत्या और उनके परिवार के साथ रेप अपराध में 11 दोषियों को सजा सुनाई गई थी जिन्हें सजा से छूट के लाभ देते हुए रिहा कर दिया गया है ऐसे में बल के जवानों ने सुप्रीम कोर्ट में इस को चुनौती दी।
याचिका में कहीं ये बात
बिलकिस बानो ने अपनी जनहित याचिका में कहा कि, दोषियों की समय से पहले रिहाई न केवल बिलकिस, उसकी बड़ी हो चुकी बेटियों, उसके परिवार के लिए, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूरे समाज के लिए एक झटका है। याचिका में आगे कहा गया, ‘अपराध की शिकार होने के बावजूद रिहाई की ऐसी किसी प्रक्रिया के बारे में कोई खबर नहीं दी गई. इस रिहाई से वो बेहद आहत, परेशान और निराश है।’
Also Read: Best Public Transport Services: दिल्ली विश्व में 35वें पायदान पर, CM Kejriwal ने किया ट्वीट