AAP-LG Conflict: दिल्ली के मेयर के चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट(SC) के दरबाजे पर पहुंच गई है। उसने कहा है कि मेयर चुनावों के नतीजे आए 2 महीने बीत गये हैं लेकिन दिल्ली के मेयर का पद अब भी खाली पड़ा है। आम आदमी पार्टी की तरफ से कोर्ट में मामला रखते हुए जाने माने वकील अभिषेक मनु सिंघवी कहा कि उपराज्यपाल की तरफ से मनोनीत पार्षदों को जबरन वोटिंग में शामिल किया जा रहा है। दूसरी तरफ AAP के विधायकों को झूठे केस लगाकर वोटिंग से रोकने की साजिश रची जा रही है।
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तीसरी बार भी टली वोटिंग
कल 6 फरवरी को चुनाव नतीजे आने के 2 महीने बाद भी तीसरी बार वोटिंग नहीं हो सकी। एक बार फिर दिल्ली बिना मेयर के रह गई और सदन की बैठक शुरु होते ही मनोनीत पार्षदों की वोटिंग को लेकर AAP और भाजपा आपस में भिड़ गई। जिससे सदन में फिर से भारी हंगामा खड़ा हो गया और सदन को अगली तारीख तक के लिए स्थगित हो गई। अब AAP ने अंतिम दांव ने चलते हुए सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है। पार्टी चाहती है कि चुनाव अदालत की निगरानी में होने चाहिए। ताकि किसी तरह की कानूनी और संविधानिक अड़चन नहीं चाहती। आपको बता दें दिल्ली नगर निगम अधिनियम,1957 के अनुसार ही दिल्ली का मेयर चुना जाना है।
मनोनीत वोटों को लेकर है सारा विवाद
बार बार सदन की बैठक स्थगित होने के पीछे सबसे बड़ा विवाद मनोनीत पार्षदों की मेयर चुनाव में वोटिंग को लेकर है। सदन की पीठासीन अधिकारी का साफ मानना है कि मनोनीत पार्षदों को वोट डालने का अधिकार है। AAP की सारी आपत्ति इसी बिंदु पर है जिससे सदन में विवाद हो रहा है।
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