Aditya-L1: भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO (इसरो ) पूरी दुनिया में भारत के नाम का डंका अपनी काबिलियत के दम पर अनगिनत बार बजवाया है। एक तरफ भारत की इसरो चंद्रयान-3 के जरिए मून के साउथ पोल पर उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। तो वहीं दूसरी तरफ लगभग डेढ़ महीने के अंतराल के बाद भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने आदित्य-एल1 (Aditya-L1) को सफल लांच कर दुनिया में अपना लोहा मनवाया है। यह सब संभव सिर्फ भारत के कर्तव्यनिष्ठ वैज्ञानिकों के बदौलत हो सका है। इसमें सबसे अहम बात यह है, कि इसरो के इस कामयाबी के पीछे ‘नारी शक्ति’ का बहुत बड़ा हाथ है। आइए आपको बताते हैं –
इसरो में बढ़ता ‘नारी शक्ति’ का कद
इसरो के बढ़ते कद में सबसे अहम योगदान महिला वैज्ञानिकों का है। इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है, कि चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) लैंडिंग मिशन की सफलता के पीछे अहम योगदान कल्पना कालाहस्ती की थी, तो वहीं आदित्य-एल1 (Aditya-L1) के परियोजना निदेशक ‘निगार शाजी’ भारत की पहली सौर मिशन का नेतृत्व कर रही हैं। इसका मतलब यह, कि इसरो और देश में महिलाओं का कद लगातार बढ़ता जा रहा है। यही वजह है, कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम बड़ी हस्ती और आम लोग फूले नहीं समा रहे हैं। सभी का मस्तक इन महिलाओं ने गर्व से ऊंचा किया है। चलिए अब यह भी जान लें, कि आदित्य-एल1 (Aditya-L1) की परियोजना निदेशक ‘निगार शाजी’ हैं कौन ?
‘निगार शाजी’ ने भारत का मान बढ़ाया
जी हां भारत के इसरो में पिछले आठ सालों से आदित्य-एल1 पर कार्य करने वाली निगार शाजी सफल लॉन्चिंग के बाद न सिर्फ इसरो बल्कि पूरे देश को भी संबोधित किया। इस दौरान मंच पर उनके साथ इसरो चीफ एस सोमनाथ भी रहे। निगार शाजी ने अपने संबोधन में कहा, “ हमें ख़ुशी है कि इतने बड़े मिशन को हमने आज लॉन्च कर दिया। यह एक टीम वर्क था। इसलिए सभी वैज्ञानिकों और टीम मेंबर्स को मैं बधाई के पात्र समझती हूँ। मैं इसका हिस्सा बनकर आज खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ। इस दौरान शाजी ने वैज्ञानिक प्रोफेसर यू आर राव को भी याद किया। बता दें कि यू आर राव इसरो के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। ”
वहीं बात करें शाजी की तो वह शुरू से ही मेधावी छात्रा रहीं। वह मूलतः तमिलनाडु की रहने वाली हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई सरकारी स्कूल से की उन्होंने बोर्ड के एग्जाम में प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसके बाद आगे की पढ़ाई शाजी ने इंजीनियरिंग में की। पढ़ाई पूरी होने के बाद वर्ष 1987 में वह इसरो में शामिल हो गयी। जानकारी के मुताबिक शाजी अभी 59 साल की है।
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