Chandrayaan-4: चांद पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद भारत ने इतिहास रच दिया है। भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। इससे पहले चांद के इस हिस्स में कोई नहीं पहुंच पाया था। चांद पर उतरने के बाद चंद्रयान-3 के ‘विक्रम लैंडर’ में मौजूद ‘प्रज्ञान रोवर’ ने खोजबीन शुरू कर दी है।
‘प्रज्ञान’ छह पहियों वाला एक रोबोटिक रोवर है, जो चांद पर विभिन्न तरह की रिसर्च करेगा। रोवर चांद की सतह पर पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सिलिकॉन और आयरन सहित कई तत्वों का अध्ययन करेगा। इसके अलावा चांद के वातावरण और दिन-रात के चक्र को समझने में भी यह सहायता करेगा।
चंद्रयान-3 के बाद चंद्रयान-4 की तैयारी शुरू
जहां, एक ओर लोग चंद्रयान-3 की सफलता पर खुश हो रहे हैं, तो वहीं ISRO (Indian Space Research Organisation) अब अपने अगले मिशन की तैयारी कर रहा है। जिसे Chandrayaan-4 नाम दिया जाएगा। इस मिशन में जापान भारत की मदद करेगा।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, जापान की स्पेस एजेंसी (Japan Aerospace Exploration Agency) भारत के साथ मिलकर ‘लुपेक्स’ को लॉन्च करने की योजना बना रही है।इस मिशन को Chandrayaan-4 कहा जाएगा। मिशन का मकसद चांद पर पानी की खोज करना होगा।
2026 में लॉन्च हो सकता है चंद्रयान-4
दरअसल, हाल के कुछ वर्षों में चांद पर पानी की मौजूदगी को लेकर कई दावे किए गए हैं। अगर ऐसा सच में है, तो यह मानव इतिहास और स्पेस रिसर्च के लिए बड़ी कामयाबी हो सकती है। इन्ही सवालों के जवाब ढूंढने के लिए यह मिशन तैयार किया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों एजेंसियां 2026 तक इसे लॉन्च करने का प्लान बना रही हैं।
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