AIMPLB: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यूसीसी के विरोध किया है। गौरतलब है कि 15 अगस्त को पीएम मोदी ने लाल किला पर झंडा फहराने के बाद अपने संबोधन में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता की वकालत की था। वही अब एआईएमपीएलबी ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। बता दें कि एआईएमपीएलबी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह मुसलमानों के लिए “अस्वीकार्य” है क्योंकि वे मुस्लिम पर्सनल लॉ के साथ कभी समझौता नहीं करेंगे।
AIMPLB ने क्या कहा?
एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता एस क्यू आर इलियास ने धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता लाने की प्रधानमंत्री की टिप्पणी पर आश्चर्य व्यक्त किया। उन्होंने इसे ”एक सोची-समझी साजिश बताया जिसके गंभीर परिणाम होंगे।” बयान में कहा गया है कि बोर्ड यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण समझता है कि भारत के मुसलमानों ने कई बार यह स्पष्ट कर दिया है कि उनके पारिवारिक कानून शरिया कानून पर आधारित हैं, जिससे कोई भी मुसलमान किसी भी कीमत पर विचलित नहीं हो सकता है।
अपने धर्म के अनुसार कानून पालन करने का अधिकार
उन्होंने कहा कि “भारत में मुसलमानों को अपने धर्म के अनुसार कानून का पालन करने का अधिकार है, जैसा कि 1937 के शरीयत एप्लिकेशन अधिनियम और भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 द्वारा गारंटी दी गई है। यह अनुच्छेद नागरिकों को “धर्म को मानने, प्रचार करने, आचरण करने और उसके कानूनों का पालन करने” का मौलिक अधिकार प्रदान करता है। उन्होंने नागरिकों से स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण भारत के दृष्टिकोण को याद रखने का आग्रह किया, साथ ही प्रधान मंत्री द्वारा प्रचारित “धार्मिक घृणा और शत्रुता” द्वारा ध्रुवीकृत होने के खिलाफ चेतावनी दी”।