Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary: पंडित अटल बिहारी वाजपेयी का नाम सुनते ही उस स्वयंसेवक की याद आती है जो संघ की शाखाओं में बुलंद आवाज में अपनी कविताओं से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया करते थे। आज 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म जयंती है और भाजपा पूर्व पीएम के जन्म जयंती को सुशासन दिवस के रुप में मना रही है। अटल बिहारी वाजपेयी का राजनीतिक दौर देखने वाले उनके बेबाकी भरे अंदाज से खूब परिचित होंगे। आज भी सोशल मीडिया पर उनके स्पीच से जुड़ा क्लिप शेयर होता रहता है। कई क्लिप में अटल बिहारी वाजपेयी के बोलने के साथ ही सदन में ठहाकों के साथ तालियों की गूंज सुनाई देती है। ऐसे में आज भारत के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म जयंती पर हम आपको उनके कुछ खास स्पीच का अंश सुनाएंगे जिसे देख और सुनकर आप भी मंत्रमुग्ध हो जाएंगे।
अमेरिका पर करारा प्रहार
अटल बिहारी वाजपेयी अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को समर्थन दिए जाने पर बेहद सख्त थे। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान अपनी कविता के माध्यम से अमेरिका पर करारा प्रहार किया था। इस दौरान उन्होंने व्यंगात्मक शैली अपनाते हुए कहा था कि “एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते, पर स्वतन्त्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा। अगणित बलिदानो से अर्जित यह स्वतन्त्रता, अश्रु स्वेद शोणित से सिंचित यह स्वतन्त्रता, त्याग तेज तपबल से रक्षित यह स्वतन्त्रता, दु:खी मनुजता के हित अर्पित यह स्वतन्त्रता। इसे मिटाने की साजिश करने वालों से कह दो, चिनगारी का खेल बुरा होता है, औरों के घर आग लगाने का जो सपना, वो अपने ही घर में सदा खरा होता है। अपने ही हाथों तुम अपनी कब्र ना खोदो, अपने पैरों आप कुल्हाडी नहीं चलाओ, ओ नादान पडोसी अपनी आँखे खोलो, आजादी अनमोल ना इसका मोल लगाओ। पर तुम क्या जानो आजादी क्या होती है? तुम्हे मुफ़्त में मिली न कीमत गयी चुकाई, अंग्रेजों के बल पर दो टुकड़े पाये हैं, माँ को खंडित करते तुमको लाज ना आई? अमरीकी शस्त्रों से अपनी आजादी को, दुनिया में कायम रख लोगे, यह मत समझो, दस बीस अरब डालर लेकर आने वाली बरबादी से, तुम बच लोगे यह मत समझो। धमकी, जिहाद के नारों से, हथियारों से, कश्मीर कभी हथिया लोगे यह मत समझो, हमलों से, अत्याचारों से, संहारों से, भारत का शीष झुका लोगे यह मत समझो। जब तक गंगा मे धार, सिंधु मे ज्वार, अग्नि में जलन, सूर्य में तपन शेष, स्वातन्त्र्य समर की वेदी पर अर्पित होंगे, अगणित जीवन यौवन अशेष। अमरीका क्या संसार भले ही हो विरुद्ध, काश्मीर पर भारत का सर नही झुकेगा, एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते, पर स्वतन्त्र भारत का निश्चय नहीं रुकेगा।
अटल बिहारी के इस कविता के बाद कार्यक्रम स्थल तालियों की गूंज से भर उठा।
हार नहीं मानूंगा
हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा, काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूं, गीत नया गाता हूं। अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा रचित इस कविता को अक्सर सोशसल मीडिया पर देखा जाता है। इसे निराशाओं में आशा की द्वीप के रुप में देखा जाता है।
विपक्ष पर तंज
अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा सदन में दिया एक और स्पीच सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें वो विपक्ष की नेता सोनिया गांधी के तल्ख लहजे से आहत हुए थे और तंज कसते हुए उन्हें जवाब दिया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि “हमें लोगों ने चुनकर सदन में भेजा है और जब तक लोग चाहेंगे हम सदन में रहेंगे।” उनके इस कथन के बाद पूरा सदन तालियों की आवाज से गूंज उठा था।
गरीबी व देश की अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता
अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा सदन में गरीबी और देश की अर्थव्यवस्था को लेकर एक शानदार भाषण दिया गया था। इस भाषण में उन्होंने पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव व राजीव गांधी का जिक्र किया था। उन्होंन सभी दलों से मिलकर देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए प्रयास करने की अपील की थी। उनके इस स्पीच से जुड़ा अंश सुनिए।
देश की रक्षा के लिए सदैव चिंतित
स्व. अटल बिहारी वाजपेयी देश की रक्षा के लिए सदैव चिंतित रहते थे। इसी क्रम में सरकार द्वारा किए गए न्यूक्लियर टेस्ट का विरोध किए जाने पर उन्होंने अपने स्पीच के माध्यम से विपक्ष पर जमकर तंज कसा था। उनके इस स्पीच को इस यूट्यूब लिंक से सुना जा सकता है।
अटल बिहारी वाजपेयी के इस स्पीच के बाद पूरा सदन तालियों की गूंज से भर उठा था। उनकी शानदार नेतृत्व क्षमता, उनकी मधुर वाणी उनके सफल नेता बनने में अहम फैक्टर साबित हुई थी।
देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘DNP INDIA’ को अभी subscribe करें। आप हमें FACEBOOK, INSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो कर सकते हैं।