Ayodhya Ram Mandir: देश के अलग-अलग हिस्सों में आज राम मंदिर में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा की धूम है। इस दौरान संपूर्ण देश राममय होता नजर आ रहा है और लोग इस अवसर को और खास बनाने के लिए धार्मिक अनुष्ठानों के साथ शोभायात्राओं का आयोजन भी कर रहे हैं। वहीं अयोध्या राम मंदिर के साथ ही कई अन्य धार्मिक स्थानों पर भी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है।
अयोध्या के राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान ही लोगों के मन में एक सामान्य सा प्रश्न भी आ रहा है। देश के विभिन्न हिस्सों में लोग ये जानना चाह रहे हैं कि प्रतिमा स्थापना से पहले प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन क्यों किया जाता है? आखिर इसकी मान्यता क्या है? ऐसे में आज राम मंदिर में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा आयोजन से पूर्व हम आपको प्राण प्रतिष्ठा (Pran Pratishtha) की धार्मिक मान्यता के बारे में बताने की कोशिश करते हैं।
Pran Pratishtha की धार्मिक मान्यता
प्राण प्रतिष्ठा (Pran Pratishtha) पूजन को हिंदू धर्म ग्रंथों में भगवान के साकार स्वरूप की आराधना का श्रेष्ठ तरीका माना गया है। ऐसे में हम देखते हैं कि किसी भी मंदिर में भगवान की प्रतिमा स्थापना से पहले शास्त्रीय परंपराओं का पालन करते हुए प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। मान्यता है कि प्राण प्रतिष्ठा पूजन के दौरान वेद पाठी ब्रह्मणों द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ देव प्रतिमा को जाग्रत अवस्था में लाया जाता है। कहा जाता है कि प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के बाद वह पूज्यनीय मानी जाती है।
इसी क्रम में शास्त्रीय परंपराओं का पालन करते हुए अयोध्या राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) में भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन किया गया है।
Ayodhya Ram Mandir प्राण प्रतिष्ठा समारोह
अयोध्या के साथ आज देश के विभिन्न हिस्सों में उत्सव का माहौल है। दरअसल आज अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा (Pran Pratishtha) समारोह का आयोजन है। इस खास अवसर पर राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) के गर्भगृह में प्रभु रामलला की प्रतिमा शास्त्रीय परंपराओं व वैदिक मंत्रोच्चार के साथ स्थापित की जाएगी।
प्रभु रामलला की प्रतिमा आज अभिजीत मुहूर्त में मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की जाएगी। मान्यता है कि अभिजीत मुहूर्त में किया गया हर काम शुभ फल प्रदान करता है और इसके परिणाण सकारात्मक होते हैं। ऐसे में विद्वानों ने शुभ, मांगलिक व धार्मिक अनुष्ठानों के लिए इस मुहूर्त को श्रेष्ठ बताया है।
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