Bangladesh Unrest: भारत के पड़ोसी मुल्क बंग्लादेश में स्थिति बेहद असहज हो चुकी है। हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी सड़को पर हैं और हिंसात्मक विरोध-प्रदर्शन को अंजाम दे रहे हैं। इसी असहज स्थिति के बीच ‘आवामी लीग’ की नेत्री शेख हसीना ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया है। अब बंग्लादेश के पीएम आवास पर प्रदर्शनकारियों का कब्जा है और वे देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसात्मक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।
बंग्लादेश में हुए इस तख्तापलट से भारत की परेशानी भी बढ़ती नजर आ रही है। दरअसल भारत और बंग्लादेश (Bangladesh Unrest) के बीच 53 सालों से द्विपक्षीय संबंध है और दोनों देशों के बीच अरबों अमेरिकी डॉलर का कारोबार है। बंग्लादेश तख्तापलट के बाद एक सवाल सभी के जहन में आ रहा है कि क्या इस स्थिति का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा? ऐसे में आइए हम आपको इस तरह के सवालों का जवाब देने की कोशिश करते हैं।
शेख हसीना के इस्तीफे से बढ़ी भारत की चिंता!
भारत के पड़ोसी देशों की बात करें तो बंग्लादेश एक ऐसा देश है जिसके साथ भारत के सबसे बेहतर संबंध रहे हैं। शेख हसीना (Sheikh Hasina) और पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने आपसी सूझ-बूझ के बदौलत दोनों देशों के बीच संबंध को और बेहतर करने के प्रयास किए। हालाकि अब बंग्लादेश में तख्तापलट हो चुका है और आवामी लीग के बाद देश के दूसरे सबसे बड़े राजनीतिक दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के सत्ता में आने की आशंका है।
ध्यान देने योग्य बात होगी कि BNP का झुकाव शुरू से ही इस्लामिक कट्टरपंथियों की तरफ रहा है और वे पाकिस्तान व चीन की वकालत खुल कर करते आए हैं। वहीं शेख हसीना की ‘आवामी लीग’ लिबरल, सेक्युलर, डेमोक्रेटिक फैब्रिक में विश्वास करते हुए भारत को वरीयता देती है। ऐसे में शेख हसीना का जाना भारत के लिए निश्चित रूप से चिंता का विषय बन सकता है।
क्या भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा प्रभाव?
बंग्लादेश में हुए तख्तापलट और शेख हसीना के इस्तीफे के बाद सभी के ज़हन में ये सवाल उठ रहा है कि क्या इसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। बता दें कि भारत और बंग्लादेश व्यापारिक रूप से बेहद अहम साझेदार हैं। दोनों देशों के बीच वर्ष 2022-23 में कुल व्यापार 15.93 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा है। बिजली व ऊर्जा के क्षेत्र में भी दोनों देश एक साथ मिलकर कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं।
दोनों देशों के बीच भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन भी बेहद अहम है। ऐसे में बंग्लादेश में उपजी ताजा स्थिति का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ने की आशंका है। इस स्थिति का लाभ उठाकर चीन, चटगांव पोर्ट को इस्तेमाल करने की मांग आगे बढ़ा सकता है जिससे भारतीय व्यापार प्रभावित होने की आशंका है। भारत ने इसके अलावा बंग्लादेश में सड़क, रेलवे, बंदरगाहों के निर्माण के लिए भी हजारों करोड़ रुपये दिए हैं जिनके भविष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। ऐसे में देखना होगा कि भारत सरकार आगामी समय में बंग्लादेश की नई गठित होने वाली अंतरिम सरकार से किस प्रकार संबंध स्थापित करती है।