Bhutan King India Visit: भूटान के राजा जिग्मे नामग्याल वांगचुक कल 3 अप्रैल 2023 को अपनी 3 दिन की भारत यात्रा पर दिल्ली पहुंचे थे। उन्होंने भारत आते ही सबसे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर से शाम को मुलाकात की थी । आज 4 अप्रैल को उन्होंने पीएम मोदी से मुलाकात की। बता दे भूटान नरेश राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के निमंत्रण पर भारत की आधिकारिक यात्रा पर आए हैं। भूटान भारत का कूटनीतिक और रणनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण पड़ोसी देश है। जो भारत को चीन से भौगोलिक सुरक्षा प्रदान करता है। वहीं भारत भी भूटान को सुरक्षा प्रदान करता है। चीन लगातार इस छोटे से देश को लालच और डरा धमकाकर उसे हड़पने की कोशिश करता रहता है।
यात्रा का रणनीतिक महत्व
भूटान नरेश जिग्मे नामग्याल वांगचुक भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा करने के मकसद से तीन दिवसीय यात्रा पर आए हैं। इस दौरान पीएम मोदी से आज उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों पर आपसी हितों को मजबूत करने हेतु विस्तार से चर्चा की। इसके साथ ही भारत ने भी भूटान को उसकी आर्थिक और सामाजिक मदद करते रहने के संकल्प को दोहराया। चीन को देखते हुए भूटान का बड़ा सामरिक महत्व है । भारत पूर्वी चीन सीमा को लेकर बेहद चिंतित और सतर्क है। जिसकी सुरक्षा में इस देश का बड़ा महत्व है। चीन लगातार भूटान में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश में तरह तरह के प्रलोभन इस देश को दे रहा है। लेकिन भारत का मानना है कि भूटान चीन सीमा विवाद का हल भारत के हितों को ध्यान में रखते हुए निकाले। उन पर किसी भी तरह की आंच नहीं आनी चाहिए।
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क्या हैं भारत की चिंताएं
भूटान भारत-चीन जैसे दो शक्तिशाली देशों के बीच स्थित है। इसके साथ ही भारत के चीन के साथ सीमा विवाद भी चिंता का कारण है। चीन की नजर भारत के संवेदनशील चिकन नेक कॉरिडोर पर है।जिसकी सुरक्षा पर भारत का चीन से लंबा डोकलाम विवाद हुआ था। चीन चाहता है भूटान को उत्तर में कुछ जमीन देकर डोकलाम वाले इलाके को भूटान बदले में चीन को सौंप दे। अगर भूटान- चीन समझौते में ऐसा कुछ हुआ तो चीन की सीधी पहुंच चिकन नेक पर हो जाएगी। इस स्थिति में भारत बिल्कुल भी किसी भी कीमत पर यह नहीं चाहेगा। इसलिए भारत के लिए भूटान चीन वार्ता पर गहरी नजर रखना बहुत जरूरी है।
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