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Bihar Caste Census: जातीय जनगणना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र ने कही ये बड़ी बात, जानें कब होगी अगली सुनवाई

जातीय जनगणना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हुए सुनवाई में केन्द्र सरकार ने कहा है कि राज्यों के पास जनगणना का अधिकार नहीं है। वहीं बिहार सरकार ने कहा है कि हमने जनगणना को लेकर लगभग सभी काम पूरा कर लिया है।

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Caste Census
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Bihar Caste Census : बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census) को लेकर सियासी सरगर्मिया तेज हैं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट से बड़ी खबर सामने आई जहां बीते दिन सुनवाई के दौरान केन्द्र सराकर ने कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल किया। केन्द्र ने अपने इस हलफनामे में कहा है कि जातीय जनगणना का अधिकार राज्यों के पास नहीं है। ऐसे में बिहार सरकार कैसे जनगणना करा सकती है। इस पर बिहार सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सरकार ने जनगणना का काम लगभग पूरा कर लिया है। सारे डेटा जुटा कर अपलोड कर दिए गए हैं। अब खबर है कि इस मामले में अगली सुनवाई सोमवार को की जाएगी।

केन्द्र और बिहार सरकार का तर्क

जातीय गणना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र और बिहार (Bihar) सरकार ने बारी-बारी से अपना तर्क रखा। केन्द्र सराकर की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जनगणना का अधिकार राज्यों के पास नही है। ऐसे में बिहार सराकर कैसे ये जनगणना कर सकती है। वहीं बदले में बिहार सरकार ने अपना तर्क पेश करते हुए कहा कि हमने राज्य में गणना को लेकर लगभग सभी प्रक्रिया पूरी कर ली है। सभी डेटा इकट्ठा कर लिए गए हैं। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनते हुए अगली सुनवाई के लिए 4 सितंबर यानी सोमवार का समय दिया है।

पटना हाईकोर्ट ने दी थी जनगणना को मंजूरी

बता दें कि 1 अगस्त को पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को अपनी मंजूरी दी थी। इसके संबंध में कोर्ट ने कहा था कि सरकार इसे सर्वे के तरह करा सकती है। इसके बाद से सरकार ने अपने इस प्रोजेक्ट को एक बार फिर गति देने का काम किया था और इस संबंध में काम आगे बढ़ाने के आदेश दिए थे।

जातीय जनगणना का भारत से है पुराना जुड़ाव

बिहार में जातीय जनगणना को लेकर इन दिनों चर्चाएं जारी हैं। कोई इसे जरुरी बता रहा है तो कोई इसके संबंध में अन्य टिपण्णीयां कर रहा हैं। इस बीच बता दें कि जातीय जमगणना का जुड़ाव भारत से बेहद पुराना है। सन् 1931 और 1941 में अंग्रेजों ने भारत में जातीय जनगणना कराई थी। इसमें 1931 वाले रिपोर्ट को तो सबके समक्ष रखा गया था पर 1941 वाली रिपोर्ट को किसी वजह से सार्वजनिक न किया जा सका। इस संबंध में कई तथ्य सुनने को मिलते हैं। अब बिहार सरकार के इस कदम के तर्ज पर ही यूपी में भी जातीय जनगणना का मांग कभी-कभी उठ जाती है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई के बाद क्या फैसला सुनाती है।

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