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CBSE Open Book Exam: क्या है ओपन बुक एग्जाम, जल्द शुरू होगा पायलट प्रोग्राम; जानें इसके फायदे और नुकसान

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फाइल फोटो प्रतिकात्मक

CBSE Open Book Exam: सीबीएसई बोर्ड परीक्षाओं को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि CBSE Open Book Exam कराने पर विचार कर रहा है। खबरों की मानें तो इस साल के अंत में सीबीएसई ओपन बुक एग्जाम का कॉन्सेप्ट ला सकती है। अब सबके मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर यह CBSE Open Book Exam क्या होता है, क्या इससे छात्रों को लाभ मिलेगा? चलिए आज हम इस लेख में चर्चा करेंगे की इस ओपन बुक एग्जाम से कितना लाभ होगा और सीबीएसई इसे क्यो लाना चाहती है।

क्या है सीबीएसई का प्लान?

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों के लिए CBSE Open Book Exam पर विचार करते हुए अपनी परीक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव पर विचार कर रहा है। यह विचार पिछले साल पेश किए गए नए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे की सिफारिशों के अनुरूप है।

वहीं सीबीएसई चयनित स्कूलों में ओपन-बुक मूल्यांकन के पायलट कार्यक्रम की योजना बना रहा है, जिसमें कक्षा 9 और 10 के लिए अंग्रेजी, गणित और विज्ञान और कक्षा 11 और 12 के लिए अंग्रेजी, गणित और जीवविज्ञान जैसे विषयों को लक्षित किया जाएगा।

क्या है CBSE Open Book Exam?

CBSE Open Book Exam
CBSE

आमतौर पर परीक्षा केंद्र पर छात्रों को एडमिट कार्ड ले जाने के अलावा किसी भी तरह का पेपर ले जाने पर स्कूल प्रशासन की तरफ से रोक लगाई जाती है। लेकिन CBSE Open Book Exam के तहत छात्र सब्जेकट से संबंधित किताब, स्टडी मैटीरियल या नोट्स लेकर परीक्षा में बैठ सकते है। हालांकि ओपन बुक एग्जाम बंद किताब वाली परीक्षाओं की तुलना में किसी भी प्रकार से आसान नहीं है।

इसमे छात्र को विषय की समझ और अवधारणाओं का विश्लेषण या लागू करने की उनकी क्षमता पर केंद्रित है। इसके अलावा परीक्षा के दौरान, छात्र अपने नोट्स या किताबों की मदद ले सकते हैं, जिससे परीक्षा में सफलता के लिए रटने की बजाय आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साहित किया जा सकता है।

ओपन बुक एग्जाम के फायदे

आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करता है – ओपन बुक परीक्षा आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देती है, जो एक बड़ा लाभ है। छात्रों को इन परीक्षणों में चुनौतीपूर्ण समस्याओं का उत्तर देने के लिए सोचना, मूल्यांकन करना और अपने ज्ञान को लागू करना चाहिए। ओपन-बुक परीक्षण, बंद-पुस्तक परीक्षाओं के विपरीत, उच्च-क्रम की सोच को प्रोत्साहित करते हैं, जो याद रखने पर जोर दे सकते हैं।

याद रखने का दबाव कम करता है- पारंपरिक बंद-किताब वाली परीक्षाएं छात्रों पर याद रखने का बहुत दबाव डालती हैं। रटने की स्मृति पर यह एकाग्रता सतही स्तर की शिक्षा को जन्म दे सकती है, जब बच्चे चीजों को समझे बिना याद करते हैं। खुली किताब के परीक्षणों से याद रखने का यह बोझ कम हो जाता है। यह परिवर्तन सच्ची और सार्थक शिक्षा को बढ़ाता है। छात्रों को केवल जानकारी दोहराने के बजाय विषय की खोज करके उसकी गहरी समझ प्राप्त हो सकती है।

ओपन बुक एग्जाम के नुकसान

गहरी समझ का अभाव- छात्र विचारों और सिद्धांतों को समझने के बजाय समाधान खोजने को प्राथमिकता दे सकते हैं। छात्रों को इस मुद्दे पर काबू पाने के लिए संदर्भ संसाधनों के उपयोग और अपनी समझ दिखाने में संतुलन बनाना चाहिए। एक जानकार छात्र अपने उत्तरों को बेहतर बनाने के लिए उन पर निर्भर रहने के बजाय संदर्भों का उपयोग कर सकता है।

समय प्रबंधन चुनौतियां – ओपन बुक परीक्षाओं में प्रभावी समय प्रबंधन महत्वपूर्ण है। छात्रों का समय प्रश्नों के उत्तर देने और संदर्भ संसाधनों का उपयोग करने के बीच विभाजित किया जाना चाहिए। समय का कुप्रबंधन कई समस्याओं का कारण बन सकता है।

संसाधनों में असमानता- संसाधनों और तैयारियों के आधार पर, छात्रों के पास अलग-अलग संदर्भ सामग्री की उपलब्धता हो सकती है। इससे छात्रों में असमानता पैदा हो सकती है, जिससे कुछ को बढ़त मिल सकती है। पाठ्यपुस्तकें, नोट्स, इंटरनेट का उपयोग और संदर्भ सामग्री की गुणवत्ता संसाधन विसंगतियों में योगदान करती है। खुली किताब परीक्षाओं में निष्पक्षता और समानता सुनिश्चित करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों को मानकीकृत संदर्भ सामग्री या महत्वपूर्ण संसाधनों तक समान पहुंच प्रदान करनी चाहिए।

ओपन बुक एग्जाम से छात्रों पर कितना पड़ेगा प्रभाव?

बता दें कि सीबीएसई ने 2014-15 से 2016-17 तक तीन सालों के लिए कक्षा 9 और 11 की परीक्षाओं के लिए ओपन टेस्ट आधारित मूल्यांकन (OBTA) का उपयोग किया था। उस समय शिक्षावादियों और छात्रों से नकारात्मक प्रतिक्रियांए मिली थी।  हालांकि यह देखना दिलचस्प होगा कि अगर ओपन बुक एग्जाम लागू हो जाता है तो, इसपर छात्रों का क्या रिएक्शन होता है। और उन पर इस एग्जाम का कितना प्रभाव पड़ता है।

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