Pension Scheme: चंडीगढ़ सरकार ने वृद्ध पेंशन को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। प्रशासन ने पहले केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था जिसमें पेंशन की राशि को आगे बढ़ाने की बात कही गई थी। लेकिन साल 2016 में मंत्रालय ने इसमें कुछ चीजों में बदलाव कर दिया। इसी बीच अब वृद्धा पेंशन भी भारत की संविधान की सातवीं अनुसूची की समवर्ती सूची में शामिल हो चुकी है। साल 2016 के बाद से पेंशन में 1 रुपए की बढ़ोतरी नहीं हुई। इसके बाद प्रशासन ने खुद ही पेंशन को 500 से 1000 रुपए कर दिया। इसके बाद वित्तीय वर्ष 2018-19 में पेंशन को 2000 रुपए कर दिया गया।
चंडीगढ़ प्रशासन ने किया आकलन
साल 2018 के बाद से यह पेंशन में कोई वृद्धि नहीं की गई। इसके बाद से अधिकारियों को अब पेंशन बढ़ाने के लिए खुद ही विचार करना पड़ रहा है। प्रशासन ने इसका आकलन किया है अगर पेंशन खुद बढ़ाई जाती है तो इससे बजट पर क्या असर पड़ेगा? सूत्रों के मुताबिक तय हुआ है कि पेंशन बढाने से अगर बजट पर ज्यादा असर नहीं पड़ा तो प्रशासन खुद ही पेंशन बढ़ाएगा। साल 2018-19 में चंडीगढ़ प्रशासन ने पेंशन बढ़ाने के फैसले की मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था। मंत्रालय ने दो बार चंडीगढ़ से अलग-अलग सब स्पष्टीकरण मांगे। लेकिन प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली।
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सलाहकार अधिकारियों से कर चुके हैं मुलाकात
इसी बीच प्रशासक के सलाहकार धर्मपाल दिल्ली में भी पेंशन बढ़ाने की मांग को लेकर अधिकारियों से भी मुलाकात कर चुके हैं। बता दें कि चंडीगढ़ को छोड़कर पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश समेत लगभग सभी राज्य पेंशन की राशि बढ़ा चुके हैं। हरियाणा में पेंशन करीब 2750 रुपए है। इसके अलावा विधवा, दिव्यांग पेंशन में भी बढ़ोतरी की गई है। इसी बीच अब चंडीगढ़ प्रशासन ने खुद ही वृद्धा पेंशन को बढ़ाने पर जोर दिया है।
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